बंगाली ब्यूटी कही जाने वाली अभिनेत्री अनीता गुहा ने 15 साल की उम्र में ब्यूटी पेजेंट में हिस्सा लिया था. और यहीं से उनके एक्टिंग करियर की शुरुआत भी हुई. उनकी पहली फिल्म टोंगा वाली थी जो कि 1955 में रिलीज हुई. फिर देख कबीरा रोया (1957), शारदा (1957), गूंज उठी शहनाई जैसी फिल्मों में वे नजर आईं. इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के लिए नॉमिनेट भी किया गया था.
जय संतोषी मां में अनीता के अभिनय ने दर्शकों के मन में खास जगह बनाई. महिलाएं उनकी पूजा करने लगीं. उन्होंने इसके अलावा भी कई पौराणिक कथाओं पर आधारित फिल्मों में काम किया है. इनमें कवि कालीदास, जय द्वारकाधीश और कृष्णा कृष्णा शामिल है. जब उन्हें लगा कि वे टाइपकास्ट हो गई हैं तो उन्होंने ऐतिहासिक और सामाजिक मुद्दों पर बनीं फिल्मों में भी काम करना शुरू किया.
एक टॉक शो में अनीता ने बताया था कि उन्हें बचपन से ही मेकअप का बहुत शौक था. वे सकूल भी जाती थीं तो मेकअप कर के जाती. पिटाई होती थी पर वे बाज नहीं आती. उन्हें पाउडर लगाना, लिपस्टिक लगाना बहुत पसंद था. आगे चलकर उनके ये शौक फिल्मों में पूरे भी हुए.
अनीता गुहा ने एक्टर माणिक दत्त से शादी की थी. दोनों ही फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े थे. लेकिन पर्दे पर माता सीता और संतोषी मां बनकर जगत की जननी का रोल निभाने वाली अनीता निजी जिंदगी में कभी मां नहीं बन सकीं.
कुछ समय बाद माणिक दत्त की मौत हो गई. पति की मौत के बाद अनीता अकेली रह गईं. वे पति की मौत से बेहद दुखी थी, जिसका असर उनके शरीर पर भी दिखने लगा था. उन्हें ल्यूकोडर्मा हो गया था. चेहरे से लेकर पूरे शरीर में सफेद धब्बों ने घर कर लिया था. इन धब्बों को छिपाने के लिए वे बहुत हेवी मेकअप करने लगीं. वे कहती थीं कि जिस मेकअप से उन्हें प्यार था बाद में उसी से उन्हें नफरत होने लगी थी.
20 जून 2007 में उनकी मौत हो गई. अपने आखिरी समय में उन्होंने कहा था कि अंतिम संसकार से पहले उनका मेकअप किया जाए ताकि उनके सफेद धब्बे लोग ना देख सकें.