गूफी ने बताया कि उन्होंने मुझसे पूछा कि तुम शकुनी को लंगड़ा क्यों बनाना चाहते हो? तो उन्होंने जवाब दिया कि मैं छोटा था तो नैनीताल की तराई में स्थित अपने गांव बाजपुर जाया करता था. हमारे दादा जी बहुत बड़े स्कॉलर थे.
गूफी ने बताया कि उनके दादा जी पर्शियन, इतिहास और इंग्लिश के बहुत जानकार थे. वह उनके साथ जब सुबह वॉक पर जाया करते थे तो उनसे छोटी-छोटी चीजों को लेकर सवाल किया करते थे.
गूफी ने बताया कि एक बार उन्होंने अपने दादा जी से पूछा कि अच्छे और बुरे इंसान में क्या फर्क होता है तो उन्होंने कहा कि अच्छा इंसान आपको आकर्षित करता है और बुरे इंसान के आप पास नहीं जाना चाहते. गूफी ने बात आगे बढ़ाते हुए दादा जी से पूछा कि क्या दोनों में कोई फिजिकल फर्क भी होता है. तो जवाब में उन्होंने बताया कि कुछ फर्क होते हैं. भगवान उन्हें कोई न कोई फिजिकल डिफेक्ट दे देता है. जैसे वो लंगड़ा होगा, गर्दन छोटी होगी, एक ही आंख होगी या त्वचा के रंग का फर्क या कुछ भी हो सकता है.
गूफी ने बताया कि मैंने राही मासूम रजा के सामने ये कहानी रखी और उनसे कहा कि मैं इस वजह से अपने किरदार को लंगड़ा दिखाना चाहता हूं. ताकि इंसान को देखते ही तुरंत पता चल जाए कि ये इंसान बुराई करने वाला है. ये बुरा इंसान है. भले ही वह अपनी बहन का बदला ले रहा था लेकिन वह बुरा है.
हालांकि गूफी ने जिस इंटरव्यू में ये बात कही उसी इंटरव्यू में उन्होंने ये भी कहा कि ये मेरे उस 11 साल के बच्चे के विचार थे जो बड़े होने तक मेरे पास रहे और मैंने शो में इसे आजमाने का फैसला किया. मैं अपने इन विचारों को आज भी वापस लेने के लिए तैयार हूं. मैं खुद ये नहीं मानता हूं आज कि जो लोग दिव्यांग हैं, वो कमजोर हैं. उनमें से तो कितनों ने मिसाल कायम की है.
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