राजकुमार राव का जन्म 31 अगस्त, 1984 को गुडगांव में हुआ था. उनका नाम पहले राजकुमार यादव था. लेकिन उन्होंने अपनी मां के कहने पर सरनेम राव कर लिया. उनका कहना है कि हरियाणा में यादव और राव एक ही सरनेम होते हैं. राव सरनेम उन्हें ज्यादा पसंद आया. कुछ समय तक इंडस्ट्री के लोग उन्हें साउथ इंडियन मानते रहे थे.
राजकुमार अभी तक गैंगस्टर, वकील, जर्नलिस्ट जैसे रोल निभा चुके हैं. इन फिल्मों में उनका लुक भी बेहद बदला नजर आया. वे अपनी अगली फिल्म न्यूटन में एक सरकारी क्लर्क की भूमिका में होंगे, जो नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पहली बार चुनाव कराता है.
राव ने अपनी पिछली फिल्म ट्रैप्ड में ऐसे शख्स की भूमिका निभाई तो जो अपने फ्लैट में दो हफ्ते तक बंद रहता है और खाने- पीने के लिए संघर्ष करता है. इसमें उनकी अदाकारी के लिए उन्हें मुंबई फिल्म फेस्टिवल में स्टैंडिंग ओवेशन दिया गया था.
हंसल मेहता की फिल्म अलीगढ़ में राजकुुमार राव ने एक पत्रकार की भूमिका निभाई थी. वे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रामचंद्र सिरास की कहानी को उजागर करते हैं. वे इसमें एक जिम्मेदार और संवेदनशील इंसान के रूप नजर आए.
गैंग्स ऑफ वासेपुर-2 में शमशाद आलम का किरदार निभाने के बाद ही राजकुमार राव को नोटिस किया गया था. इसमें वे लोहे का व्यापार करते हैं और फायदे के लिए फैजल से डील करते हैं. इसमें वे पहली बार मूंछों में देसी युवा के रूप में नजर आए.
सिटीलाइट्स में राजकुमार राव ने राजस्थान के एक आम युवा की भूमिका की है, जो रोजगार की तलाश में मुंबई पलायन करता है. उनके किरदार और देसी लुक को काफी पसंद किया गया था.
फिल्म डॉली की डोली में वे सोनम कपूर के साथ नजर आए. दोनों कानों में बाली वाला उनका लुक काफी पसंद किया गया. वे फिल्म में सोनम द्वारा की गई ठगी के शिकार हो जाते हैं. सोनम उन्हें शादी की पहली रात ही लूटकर घर से भाग जाती हैं.
हंसल मेहता की फिल्म शाहिद में राव एक और दिलचस्प किरदार में दिखे. उन्होंने इसमें एक पूर्व आतंकी और वकील की भूमिका निभाई थी. यह पहली फिल्म थी, जिसमें उन्होंने टाइटल कैरेक्टर निभाया.