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18 रुपये थी रामायण की मंथरा की पहली सैलरी, एक हादसे ने बदल दी जिंदगी

aajtak.in
  • 10 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 7:41 AM IST
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80 के दशक के टीवी सीरियल रामायण की शुरुआत एक बार फिर से हो चुकी है. जनता को सालों बाद इस सीरियल को देखने में मजा आ रहा है.

यूं तो रामायण के सभी किरदार बहुत जरूरी हैं लेकिन एक किरदार, जिसकी वजह से रामायण बनी और राम को 14 साल का वनवास हुआ वो थी मंथरा. मंथरा की भूमिका इस कहानी में बहुत बड़ी है. इसी तरह सीरियल रामायण में मंथरा का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस ललिता पवार की भूमिका फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में काफी बड़ी रही है.

आइए आपको बताएं ललिता पवार के बारे में कुछ अनजानी बातें:

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ललिता पवार ने रामानंद सागर की रामायण में मंथरा का रोल किया था. इस रोल से उन्हें पहचान मिली थी. ललिता का जन्म 18 अप्रैल 1916 को नासिक के एक धनी व्यापारी लक्ष्मणराव सगुन के घर में हुआ. लेकिन उनका जन्म स्थान इंदौर माना जाता है.

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ललिता ने बतौर बाल कलाकार एक मूक फिल्म में काम किया था. इस फिल्म का नाम था 'पतित उद्धार'. फिल्म के लिए उन्हें महज 18 रुपये की मासिक सैलरी मिला करती थी.

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1942 में आई फिल्म 'जंग-ए-आजादी' के सेट पर एक सीन की शूटिंग के दौरान हादसे की वजह से उनकी आंख में चोट लग गई थी. इससे उनका हीरोइन बनने का सपना हमेशा के लिए टूट गया.

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80 के दशक के प्रसिद्ध अभिनेता भगवान दादा को इस सीन में अभिनेत्री ललिता पवार को एक थप्पड़ मारना था. थप्पड़ इतनी जोर का पड़ा कि ललिता पवार वहीं गिर पड़ीं और उनके कान से खून बहने लगा. फौरन सेट पर ही इलाज शुरू हो गया. इसी इलाज के दौरान डाक्टर द्वारा दी गई किसी गलत दवा के नतीजे में ललिता पवार के शरीर के दाहिने भाग को लकवा मार गया. लकवे की वजह से उनकी दाहिनी आंख पूरी तरह सिकुड़ गई और उनकी सूरत हमेशा के लिए बिगड़ गई.

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ललिता पवार एक आंख के जाने के बाद ही वैम्प के रोल में नजर आई थीं. वैसे बहुत कम लोग जानते हैं कि ललिता पवार अच्छी सिंगर भी थीं. 1935 की फिल्म ‘हिम्मते मर्दां’ में उनका गाया ‘नील आभा में प्यारा गुलाब रहे, मेरे दिल में प्यारा गुलाब रहे’ उस वक्त काफी फेमस हुआ था.

1990 में ललिता पवार को जबड़े का कैंसर हुआ. कैंसर की वजह से न सिर्फ उनका वजन कम हो गया, बल्कि उनकी याददाश्त भी कमजोर होने लगी जिसके कारण उनका निधन हो गया. 24 फरवरी 1998 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा था.

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