द लीजेंड ऑफ भगत सिंह: शहीद भगत सिंह पर कई फिल्में लगातार बनती रहीं.
सबसे ज्यादा चर्चा 1965 में मनोज कुमार और 2002 में अजय देवगन के फिल्मों
की हुई.इस फिल्म में सुखदेव, राजगुरु, चंद्र शेखर आजाद की कहानी भी देशभक्ति से ओतप्रोत है.
हकीकत: ये फिल्म 1962 के भारत-चीन युद्ध को लेकर बनाई गई थी. एक ऐसी लड़ाई जिसके बारे में भारत ने कभी सोचा ही नहीं था. कोई तैयारी भी नहीं थी. सैनिक साजो सामान भी पर्याप्त नहीं थे. ऐसी ही लड़ाई में कैप्टन बहादुर सिंह (धर्मेंद्र) अपनी टुकड़ी के जवानों को बचा लेता है. ये फिल्म बहुत शानदार बनी थी. ये हिंदी में देश की पहली वॉर फिल्म भी है. फिल्म का गीत अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों... आज भी लोगों की आंखों में आंसू ला देता है. इस फिल्म का लेखन-निर्देशन चेतन आनंद ने किया था. धर्मेंद्र के अलावा बलराज साहनी भी महत्वपूर्ण भूमिका में थे.
कर्मा: 1986 में आई मल्टीस्टार्स फिल्म कर्मा, जिसमें दिलीप कुमार के अलावा नूतन, अनिल कपूर, जैकी श्रॉफ और अनुपम खेर ने भूमिका अदा की थी. फिल्म की कहानी में दिखाया गया था कि किस तरह से देश में आतंक का साया बढ़ता जा रहा है. दिलीप कुमार कुछ कैदियों की मदद से आतंक का खात्मा करते हैं. फिल्म का गाना- हर करम अपना करेंगे ऐ वतन तेरे लिए..आज भी सुना जाता है.
क्रांति: ये फिल्म 1981 में आई थी. इसकी कहानी काल्पनिक है. अंग्रेजों ने चालाकी से एक रियासत को अपने चंगुल में ले लिया है. सेनापति को भागना पड़ता है. उसका अपना परिवार बिछड़ जाता है. सेनापति और उसका बेटा अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष करते हैं. ये मल्टी स्टारर फिल्म थी. जिसमें दिलीप कुमार, मनोज कुमार, शशि कपूर, शत्रुघ्न सिन्हा, हेमा मालिनी और निरूपा रॉय ने अभिनय किया है.
लगान : अंग्रेजों से संघर्ष को लेकर कई फिल्में बनी हैं इसमें आमिर खान की फिल्म 'लगान' भी एक है. गांव वालों पर अंग्रेजों का शोषण होता है. वो ज्यादा कर लगाते हैं. कर हटाने को लेकर उनकी शर्त है कि अगर उन्हें क्रिकेट मैच में हरा दिया जाए तो ऐसा हो सकता है. बाद में कभी क्रिकेट नहीं खेलने वाले गांव वाले एक टीम बनाते हैं और अंग्रेजों को हरा भी देते हैं. देशप्रेम की भावनाओं से ओतप्रोत ये फिल्म काफी सफल रही थी. ये ऑस्कर में भी भेजी गई थी.
एलओसी-करगिल: साल 2003 में आई फिल्म की कहानी 1999 के भारत-पाक के बीच कारगिल युद्ध की थी. इसे जेपी दत्ता ने निर्देशित किया था. फिल्म में कारगिल शहीदों की कहानियां हैं. मल्टीस्टारर फिल्म में अजय देवगन, अरमान कोहली, संजय दत्त, नागार्जुन, सैफ अली खान, सुनील शेट्टी, अभिषेक बच्चन, मोहनीश बहल, अक्षय खन्ना, मनोज वाजपेयी, आशुतोष राणा, रानी मुखर्जी, करीना कपूर, ईशा देओल और रवीना टंडन आदि ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थी.
मंगल पांडे: ये वो नाम है जिसे आजादी की लड़ाई का अग्रदूत माना जाता है. अंग्रेजों के खिलाफ पहला सशस्त्र विद्रोह पूरे देश में आग की तरह फैल गया. 8 अप्रैल 1857 में ब्रिटिश आर्मी में सिपाही रहे मंगल पांडे को फांसी दे दी गई. लेकिन उनके द्वारा लगाई गई आग हर भारतीय के अंदर भड़क चुकी थी. देश के इस महान क्रांतिकारी के जीवन पर 2005 में केतन मेहता ने ‘मंगल पांडे – द राइजिंग’ टाइटल से फिल्म बनाई. मंगल पांडे का किरदार आमिर खान ने निभाया था. हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बड़ा धमाल नहीं कर पाई.
पूरब पश्चिम: 1970 में आई फिल्म 'पूरब और पश्चिम' का निर्देशन मनोज कुमार ने ही किया है. सिर्फ निर्देशन ही नहीं बल्कि मनोज कुमार इस फिल्म के निर्माता-लेखक भी हैं. उपकार के बाद 'भारत कुमार' के रूप में ये उनकी दूसरी फिल्म थी जिसमें उनके साथ विनोद खन्ना भी थे. फिल्म भारतीय संस्कृति और दुनिया में भारत की उपलब्धियों का बखान करती है.
उपकार: 1967 में आई देशभक्ति के जज्बे से भरी फिल्म को बनाने का मकसद था "जय जवान, जय किसान" के नारे को बुलंद करना. फिल्म में मनोज कुमार के अभिनय ने लाखों करोड़ों देशवासियों का दिल जीत लिया. इसमें मनोज कुमार का नाम "भारत" था. इसी फिल्म के बाद लोग उन्हें भारत कुमार बुलाने लगे थे. मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती… गाने को उन दिनों कई सम्मान भी मिले.