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नौजवानों को भी नहीं बख्श रहा कोरोना, अस्पताल में भर्ती 10 में से 6 मरीज 40 साल से कम

aajtak.in
  • 06 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 1:42 PM IST
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कोरोना वायरस (Corona virus) 60-65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है. लेकिन एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कोविड-19 के चलते अस्पताल में भर्ती 10 में 6 मरीज (62.5%) 40 साल से कम उम्र के हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (health ministry of india) के सर्विलांस प्रोग्राम के तहत कोविड-19 (Covid 19) के कारण अस्पताल में भर्ती हुए करीब 2 लाख लोगों पर किए गए विश्लेषण में यह बात सामने आई है.

Photo: Reuters

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ये निष्कर्ष भारतीय और अंतरराष्ट्रीय रुझानों के अनुरूप हैं. जहां अपेक्षाकृत संक्रमितों में युवा ज्यादा हैं लेकिन मरने वालों में बुजुर्गों की संख्या ज्यादा है. सोमवार रात तक भारत में कोरोना वायरस के कारण 1 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें से 53% लोग 60 साल से अधिक उम्र के हैं, जबकि 88% की उम्र 45 साल से ज्यादा बताई गई है.

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यह पहली बार है जब महामारी के कारण अस्पताल में भर्ती हुए लोगों की उम्र के हिसाब से संक्रमितों की संख्या बताई जा रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, 60 साल की उम्र से ज्यादा अस्पताल में दाखिल सिर्फ 9% लोग ही हैं. जबकि 21-30 साल के 25.84% और 31 से 40 साल के बीच के सिर्फ 22.48%  लोग ही शामिल हैं. लिस्ट में 90 साल की उम्र से ज्यादा सिर्फ 0.09% लोग हैं.

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इस खतरे को देखते हुए देश में बुजुर्ग आबादी, पहले से पीड़ित लोग और गर्भवती महिलाओं जैसे हाई रिस्क जोन पर नजर बना रखी है. कुल मिलाकर कंटेंटमेंट जोन में कम्युनिटी सर्विलांस के तहत लगभग 40 लाख कोमॉर्बिटीज और वयस्कों की निगरानी की जा रही है. एक्सपर्ट का दावा है कि Sars-Cov-2 की ट्रांसमिशन एबिलिटी ज्यादा होने की वजह से वायरस फैलने का खतरा अभी भी ज्यादा है.

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्र ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि भारत में नजर आने वाला ये पैटर्न विदेशी एक्सपर्ट से मिलने वाले डेटा से बिल्कुल अलग नहीं है, जिसमें ये बताया गया है कि ये वायरस बच्चों की तुलना में वयस्कों के लिए ज्यादा खतरनाक है. उम्रदराज और किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों को लिए ये वायरस बड़ा जानलेवा है.

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रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना के कारण मरने वाले 70% मरीजों में हाइपरटेंशन, डायबिटीज, कार्डिएक अरेस्ट, लिवर या किडनी से जुड़ी बीमारियों को अंडरलाइन किया गया है. सूत्रों के हवाले से पता चला कि कोरोना के कारण जिन रोगियों ने दम तोड़ा, उनमें से अधिकांश कॉम्बिडिटीज थे. यानी आधे से ज्यादा लोग कम से कम दो बीमारियों का शिकार थे. इस कंडीशन में लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है.

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नई दिल्ली स्थित एम्स के डॉक्टर एनके मेहरा कहते हैं, ' चूंकि यह एक अत्यधिक संक्रामक वायरस है, इसलिए हर कोई इसका शिकार हो रहा है. हालांकि इस वायरस से भारत को काफी कम नुकसान हुआ है. हमारी मृत्यु दर भी बहुत कम है. इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि यूरोप या अमेरिका में रहने वालों लोगों की तुलना में भारतीयों का इम्यूनिटी सिस्टम ज्यादा बेहतर है.'

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