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Corona: क्यों सीने में दर्द और सांस की तकलीफ बढ़ा रहा कोरोना? ये लक्षण न करें नजरअंदाज

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 मई 2021,
  • अपडेटेड 8:53 AM IST
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कोरोना वायरस के नए वेरिएंट्स हर गुजरते दिन के साथ ज्यादा खतरनाक होते जा रहे हैं. कोरोना की दूसरी लहर में इंफेक्शन का ऐसा भयानक रूप देखने को मिला है जिसमें मरीज शुरुआती स्टेज पर ही गंभीर रूप से बीमार पड़ रहे हैं. गंभीर लक्षण दिखने के बाद कुछ दिन के भीतर ही मरीजों की मौत हो रही है. सीने में दर्द ऐसा ही एक असाधारण लक्षण है, जिसमें बहुत सावधान रहने की जरूरत है.

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डॉक्टर्स का कहना है कि कोरोना पॉजिटिव मरीजों के सीने में दर्द एक बेहद कॉमन लक्षण है, जो माइल्ड केसों में भी देखा जा रहा है. ये मरीज की ओवरऑल रेस्पिरेटरी हेल्थ का इंडिकेटर होता है. कोरोना संक्रमण के दौरान सीने में दर्द कई वजहों से बढ़ सकता है.

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क्यों होता है सीने में दर्द- सीने में दर्द या एक प्रकार की बेचैनी कोरोना का एकमात्र लक्षण नहीं है, बल्कि ये शरीर के मौजूदा लक्षणों का ही एक परिणाम हो सकता है. कई बार उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है. कोरोनो वायरस के कारण छाती में दर्द अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शंस की वजह से ही होता है और ये कभी भी अकेले नहीं होता है. ऐसे में डॉक्टर से तुरंत संपर्क करने की जरूरत होती है.

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सूखी खांसी- सूखी खांसी कोरोना पॉजिटिव मरीजों में देखा गया एक बेहद सामान्य लक्षण है. कोविड में होने वाली खांसी मरीज के रेस्पिरेटरी सिस्टम को अलग ढंग से प्रभावित करती है. लगातार होने वाली सूखी और तेज खांसी से भी सीने में दर्द बढ़ता है. ऐसी गंभीर खांसी भी सांस में तकलीफ का कारण हो सकती है. ये पसलियों और छाती की गुहाओं के पास मांसपेशियों के टूटने के कारण भी हो सकता है.

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कोविड निमोनिया- कोविड निमोनिया भी एक बेहद गंभीर लक्षण है जिसमें मरीज की खास देख-रेख करना बहुत जरूरी है. ये दिक्कत फेफड़ों के एयर बैग में इंफ्लेमेशन के बढ़ने की वजह से होती है. इससे छाती में फ्लूड बढ़ने लगता है और लक्षण ज्यादा गंभीर होने लगते हैं. मरीजों की ये दिक्कत रात में ज्यादा तकलीफदेह हो सकती है.

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इन्फ्लेमेशन- कोरोना की दूसरी लहर में फेफड़ों से जुड़ी समस्या ज्यादा देखने को मिली है. डॉक्टर्स का कहना है कि फेफड़ों में इन्फ्लमेशन छाती में दर्द और बेचैनी का इकलौता कारण भी हो सकता है. इस तरह के मामलों में एक चेस्ट एक्स-रे या सीटी स्कैन करवाने की सलाह दी जा सकती है, ताकि फेफड़ों में इंफेक्शन के लेवल का पता लगाया जा सके.

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हृदय संबंधी रोग- कार्डिएक डिसीज या कोरोनरी आर्टरी डिसीज से जूझ रहे लोगों को भी इस पर ध्यान देना चाहिए. शरीर में तेजी से फैलने वाला ये इफेक्शन किसी प्री-एग्जिस्टिंग डिसीज को भी ट्रिगर कर सकता है. ये मायोकार्डाइटिस, माएल्जिया समेत कई तरह की हृदय समस्याओं का कारण बन सकता है.

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खून में इंफेक्शन- SARS-COV-2 हमारे शरीर पर काफी बुरा असर डालता है. कोविड-19 शरीर में रक्त प्रवाह के माध्यम से फैलता है. ये पल्मोनरी एम्बोलिज्म का कारण बन सकता है, जिसमें एक ब्लड क्लॉट टूटकर फेफड़ों में फैल जाता है. इससे न सिर्फ मरीज को सीने में दर्द महसूस होता है, बल्कि फेफड़ों में खून की सप्लाई भी बाधित होती है.

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डॉक्टर्स कहते हैं कि सूखी खांसी और बुखार के साथ सांस में तकलीफ कोरोना वायरस के संक्रमण का एक मजबूत संकेत है. दरअसल, लगातार खांसी से हमारे रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है. ऐसी कंडीशन में कई बार इंसान हांफना शुरू कर देता है.

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ये कोई सीज़नल फ्लू नहीं बल्कि कोरोना वायरस है. एक स्टडी में तकरीबन 40 प्रतिशत कोरोना संक्रमित मरीजों ने सांस में तकलीफ होने की बात कबूल की है. ऐसे में यदि किसी इंसान का ऑक्सीजन लेवल 94 से नीचे गिर जाए तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर लेना चाहिए. ऑक्सीजन के लगातार नीचे गिरने पर उसे ऑक्सीजन सपोर्ट मिलना बहुत जरूरी हो जाता है.

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