प्लाज्मा थेरेपी और रेमेडिसवीर (plasma therapy and remdesivir) के 'रूटीन यूज' से कोविड-19 (Covid-19) के मरीजों के इलाज को लेकर रविवार को केंद्रिय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने चेतावानी जारी की. उन्होंने कहा कि ये फिलहाल 'इनवेस्टिगेशनल थेरेपी' हैं और इनका इस्तेमाल तर्कसंगत तरीके से ही किया जाना जरूरी है.
एंटी-वायरल ड्रग रेमेडिसवीर और प्लाज्मा थेरेपी (सीपीटी) का इस्तेमाल कोरोना के गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों के इलाज में किया जा रहा है. दिल्ली और मुंबई में इसके मामले ज्यादा होने की वजह से इन शहरों में इन ड्रग्स का ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है. बता दें कि देश में अब तक कोरोना संक्रमितों की संख्या 60 लाख के पार हो चुकी है.
बता दें कि इससे पहले दिल्ली सरकार के दो संक्रमित मंत्रियों के इलाज में भी प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया गया था, जिसके अच्छे नतीजे आए थे. इस घटना के बाद से ही थेरेपी के इस्तेमाल में काफी तेजी आई है. डॉ. हर्षवर्धन के अलावा प्राइवेट अस्पतालों ने भी इन्वेस्टीगेशनल थेरेपी के रूटीन यूज से बचने की सलाह दी है. इस संबंध में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वेबिनार और नई दिल्ली स्थित एम्स के टेली-कंसल्टेशन सेशन के जरिए जागरूक किया जा रहा है.
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बता दें कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया कुछ दिन पहले ही कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. दोनों की बिगड़ती हालत देख दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल में प्लाज्मा थेरेपी से उनका इलाज किया गया था. इसके बाद मेडिकल रिसर्च बॉडी ICMR ने इस थेरेपी को लेकर एक स्टडी जारी कर बताया था कि प्लाज्मा थेरेपी कोविड-19 में मौत का जोखिम कम नहीं करती है.
हालांकि सत्येंद्र जैन ने कहा था कि दिल्ली में हजारों लोगों को प्लाज्मा थेरेपी (Plasma therapy) दी गई है. उन्हें फायदा हुआ है. उनकी जान बच गई है. मैं भी रिकवर हो चुका हूं. ये उपचार की 100 साल पुरानी तकनीक है, जिसका कोई साइड इफेक्ट (investigational therapy side effect) भी नहीं है.
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जबकि डॉक्टर्स और एक्सपर्ट मानते हैं कि कोरोना वायरस के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी तभी कारगर है जब रोगी को सही वक्त पर इलाज मिल जाए. लेकिन किडनी, लीवर या दूसरी किसी बड़ी समस्या से जूझ रहे कोरोना मरीजों को रेमेडिसवीर देने से खतरा बढ़ सकता है.
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