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जानें, किन्हें नहीं लेनी चाहिए कोरोना की वैक्सीन Covishield और Covaxin

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 12:59 PM IST
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कोरोना वायरस की तबाही के बीच भारत सरकार 1 मई से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन देने की शुरुआत करने जा रही है. हालांकि वैक्सीन को लेकर लोगों में अजीब सा डर भी है. वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर लोग ज्यादा परेशान हैं. दरअसल कुछ मामलों में साइड इफेक्ट दिखने के बाद लोगों की मौत भी हो चुकी है. आइए ऐसे में आपको भारत में लग रही कोविशील्ड और कोवैक्सीन की तरफ से जारी उस फैक्टशीट के बारे में बताते हैं जिसमें बताया गया है कि किन लोगों को ये वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए.

Photo Credit: Getty Images

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कोवैक्सीन किन्हें नहीं लगवानी चाहिए- कोवैक्सीन का निर्माण भारत बायोटेक ने किया है. कंपनी ने अपनी फैक्टशीट में कहा है कि यदि किसी व्यक्ति को वैक्सीन के किसी विशेष इनग्रिडिएंट से एलर्जी है तो उन्हें ये वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए.

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यदि पहली डोज़ के बाद रिएक्शन सामने आ रहे हैं तब भी ये वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए. अगर कोरोना का घातक संक्रमण और तेज बुखार है तो ऐसे में भी वैक्सीन ना लें. जो लोग किसी अन्य वैक्सीन का पहला डोज ले चुके हैं, उन्हें कोवैक्सीन का दूसरा डोज नहीं लेना चाहिए. वैक्सीन लेने से पहले हेल्थकेयर की तरफ से बताए गए अन्य गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बारे में भी जान लें.

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फैक्टशीट में गर्भवती महिलाओं और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को भी कोवैक्सीन नहीं देने के लिए कहा गया है. अगर बुखार, ब्लीडिंग डिसऑर्डर या ब्लड थिनर्स पर हैं तो कोवैक्सीन ना लगवाने की सलाह दी गई है. इसी तरह, इम्यून सिस्टम को प्रभावित करने वाली कोई दवा ले रहे हैं या फिर इम्यूनोकॉम्प्रोमाइज्ड हैं तो भी आपको कोवैक्सीन नहीं लेनी चाहिए.

 

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कोविशील्ड किन्हें नहीं लगवानी चाहिए- भारत में लग रही दूसरी वैक्सीन कोविशील्ड है जिसका प्रोडक्शन 'सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया' ने किया है. इस वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका ने डेवलप किया है. कोविशील्ड की फैक्ट शीट में उन लोगों को वैक्सीन न लगवाने की सलाह दी है जिन्हें वैक्सीन के किसी भी इनग्रेडिएंट से गंभीर एलर्जी होने का खतरा होता है.

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कोविशील्ड में इस्तेमाल इनग्रेडिएंट एल-हिस्टिडाइन, एल-हिस्टिडाइन हाइड्रोक्लोराइड मोनोहाइड्रेट, डिसोडियम एडिटेट डाइहाइड्रेट (EDTA) और इंजेक्शन के लिए पानी है. इसकी फैक्टशीट में कहा गया है कि गर्भवती या ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाएं वैक्सीन लेने के लिए हेल्थकेयर प्रोवाइडर से सलाह लें.

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दोनों दवा कंपनियों की फैक्ट शीट में कहा गया है कि वो अपने हेल्थकेयर प्रोवाइडर को सेहत संबंधी सारी जानकारियां दें जैसे कि अपनी मेडिकल कंडीशन, एलर्जी की दिक्कत, बुखार, इम्यूनो कॉम्प्रोमाइज्ड या अगर आपने कोई और वैक्सीन ली है तो ये सभी बातें विस्तार से बताएं. कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों ही वैक्सीन बच्चों को नहीं दी जा रही है, क्योंकि अभी तक इनका टेस्ट नहीं किया गया है.

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वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स- सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक दोनों ने अपनी-अपनी कोरोना वायरस वैक्सीन के जोखिम और साइड इफेक्ट्स के बारे में बताया है. इनमें इंजेक्शन लगने वाली जगह पर सूजन, दर्द, लाल और खुजली होने जैसे लक्षण हैं. इसके अलावा हाथ में अकड़न, इंजेक्शन लगने वाली बांह में कमजोरी, शरीर में दर्द, सिरदर्द, बुखार, बेचैनी, थकान, चकत्ते, मितली और उल्टी जैसे कुछ सामान्य साइड इफेक्ट्स हैं.

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अपनी फैक्टशीट में भारत बायोटेक ने कहा था कि क्लीनिकल ट्रायल में कोवैक्सीन ने चार सप्ताह बाद दिए गए दूसरी डोज से संक्रमण के खिलाफ इम्यूनिटी बनाई है. बता दें कि कोवैक्सीन शरीर में जाने के बाद RNA वैक्सीन से बिल्कुल अलग तरह से संक्रमण का सामना करती है.

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शुरुआत में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के कई गंभीर लक्षण सामने आ रहे थे. जिसके बाद कंपनी ने दावा किया था कि किसी भी वैक्सीन के बाद इस तरह के लक्षण दिखना सामान्य सी बात है. हालांकि कुछ समय पहले ही ब्रिटेन में 30 साल से कम उम्र के लोगों को वहां दी जा रही वैक्सीन पर रोक लगा दी गई. ब्रिटेन ने कहा है कि 30 साल से कम उम्र वालों को एस्ट्राजेनेका की जगह कोई और वैक्सीन लेनी चाहिए. हालांकि, भारत में ऐसा कोई दिशानिर्देश नहीं दिया गया है.

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