Advertisement

लाइफस्टाइल न्यूज़

कोरोना संक्रमण के बावजूद नहीं बनती इम्युनिटी! स्टडी से बढ़ी चिंता

aajtak.in
  • 14 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 10:18 AM IST
  • 1/8

कोरोना वायरस के मामले बढ़ने के साथ ही अब रिइंफेक्शन के मामले भी धीरे-धीरे बढ़ने लगे हैं. हालांकि रिइंफेक्शन के मामले अभी कम हैं और कहा जा रहा था कि दूसरी बार का संक्रमण मामूली होता है. हालांकि रिइंफेक्शन पर हुए नए रिसर्च ने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है. रिसर्च में पता चला है कि दूसरी बार संक्रमित होने पर कोरोना के मरीजों में अधिक गंभीर लक्षण महसूस हो सकते हैं. ये स्टडी द लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित हुई है.

  • 2/8

द लैंसेट में छपी एक स्टडी में अमेरिका में पाए गए रिइंफेक्शन के पहले केस का जिक्र किया गया है. ये इस बात का संकेत देता है कि एक बार वायरस के संपर्क में आने के बाद इम्यूनिटी को लेकर कोई गारंटी नहीं दी जा सकती है है. स्टडी में 25 साल के एक युवक के बारे में बताया गया है जो 48 घंटे के अंदर  SARS-CoV-2 के दो अलग-अलग स्वरूपों से संक्रमित हुआ.

  • 3/8

युवक में पहले की तुलना में दूसरा संक्रमण ज्यादा गंभीर पाया गया. रिइंफेक्शन में युवक की हालत इतनी गंभीर हो गई कि उसे ऑक्सीजन सपोर्ट पर डालना पड़ा. रिइंफेक्शन के ये मामले अब तक बेल्जियम, नीदरलैंड, हॉन्ग कॉन्ग, ईक्वाडोर और अब भारत में भी देखे गए हैं. 
 

Advertisement
  • 4/8

एक्सपर्ट्स का कहना है कि रिइंफेक्शन के मामलों से इस महामारी पर लगाम लगाने की संभावना पर गहरा असर पड़ सकता है. खासतौर से, वैक्सीन के लिए पूरी दुनिया की खोज को झटका लग सकता है. नेवादा स्टेट पब्लिक हेल्थ लेबोरेटरी और स्टडी के प्रमुख लेखक मार्क पंडोरी ने कहा, 'प्रभावी वैक्सीन के अभाव में रिइंफेक्शन के मामले बताते हैं कि Covid-19 इम्यूनिटी पर हमें और समझने की जरूरत है.'

  • 5/8

मार्क पंडोरी ने कहा, 'कोरोना वायरस के संपर्क में आने के बाद इम्यूनिटी कितनी दिनों तक रह सकती है और एक बार ठीक होने के बाद लोग फिर से क्यों संक्रमित हो रहे हैं, ये समझने के लिए हमें और रिसर्च करने की जरूरत है. हालांकि रिइंफेक्शन के मामले कम लेकिन गंभीर आ रहे हैं.'
 

  • 6/8

इम्यूनिटी पर सवाल- वैक्सीन इम्यून रिस्पॉन्स के जरिए शरीर में कुछ निश्चित रोगाणुओं से लड़ने का काम करती है और भविष्य में संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर में एंटीबॉडी बनाती है. शरीर में ये  एंटीबॉडी कब तक रहेगी, इसे लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता है. खसरा जैसी कुछ बीमारियों के लिए शरीर में हमेशा के लिए इम्यूनिटी बन जाती है जबकि कुछ रोगाणुओं के लिए इम्यूनिटी बस कुछ दिनों के लिए ही शरीर में रहती है.

Advertisement
  • 7/8

स्टडी के लेखकों ने कहा कि हो सकता है कि अमेरिका का मरीज दूसरी बार हाई डोज वाले वायरस से संक्रमित हुआ इसलिए उसमें गंभीर रिएक्शन देखने को मिले. उन्होंने कहा कि ये भी हो सकता है यह वायरस का अधिक वायरल स्ट्रेन हो. हालांकि, कोरोना के ज्यादातर मामले एसिम्टोमैटिक होते हैं इसलिए ये कहना भी मुश्किल है कि कोई व्यक्ति पहली बार कोरोना से संक्रमित हुआ है या दूसरी बार.

  • 8/8

येल यूनिवर्सिटी में इम्यूनोबायोलॉजी एंड मॉलिक्यूलर की प्रोफेसर अकीको इवासाका ने कहा कि स्टडी के नतीजे सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को प्रभावित कर सकते हैं. उन्होंने कहा, 'रिइंफेक्शन के बढ़ते मामलों से वैज्ञानिकों को इम्यूनिटी के बारे में समझने में और मदद मिलेगी और वैक्सीन की क्षमता के बारे में भी पता लगाया जा सकेगा.'
 

Advertisement

लेटेस्ट फोटो

Advertisement