आज से पूरे देश में वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत हो रही है, लेकिन इससे जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जिन्हें लेकर लोग अभी तक असमंजस में हैं. इसलिए वैक्सीनेशन प्रोग्राम से पहले स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्यों को दोनों टीकों (कोविशील्ड और कोवैक्सीन) की एक फैक्ट शीट भेजी है- जिसमें वैक्सीन रोलआउट, फिजिकल स्पेसिफिकेशन, खुराक, कोल्ड चेन स्टोरेज की आवश्यकताओं, हल्के लक्षणों और प्रतिक्रियाओं के बारे में जानकारी दी गई है.
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DOs और Don'ts वाले दस्तावेज को सभी प्रोग्राम मैनेजर, कोल्ड चेन हैंडलर और वैक्सीनेटर के बीच भी प्रसारित किया गया है. ये व्यववस्था नेशनल ड्रग रेगुलेटर CDSCO के निर्देश के बाद की गई है, जिसमें कोविशील्ड और कोवैक्सीन की मैनुफैक्चरिंग कंपनियों को वैक्सीन के साथ एक फैक्ट शीट सप्लाई करने करने के लिए कहा गया है. इसके अलावा हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स को भी एक अलग से फैक्ट शीट देने की बात कही गई थी.
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केंद्र सरकार द्वारा जारी इस डूज़ और डोंट के दस्तावेज के मुताबिक, केवल 18 साल से अधिक आयु के लोगों को ही दोनों वैक्सीन देने की अनुमति है. इस समय, बच्चों में COVID-19 वैक्सीन की स्टडी नहीं की गई है इसलिए उन्हें वैक्सीन देने के लिए ऑथराइज्ड नहीं किया गया है.
गर्भवती महिलाओं या जो औरतें अपनी गर्भावस्था को लेकर सुनिश्चित नहीं हैं या स्तनपान कराने वाली माताओं को यह वैक्सीन नहीं लगाई जानी चाहिए. गर्भवती महिलाओं में भी COVID-19 वैक्सीन की सुरक्षा पर कोई डेटा नहीं है क्योंकि उन्हें क्लिनिकल ट्रायल से बाहर रखा गया था.
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किन्हें नहीं देनी चाहिए वैक्सीन- कोविड-19 वैक्सीन की पिछली खुराक की वजह से अगर किसी को एनाफ्लेक्टिक या एलर्जी रिएक्शन हुए हों तो वैक्सीन न दें. ऐसे व्यक्ति को भी टीका न दें जिन्हें वैक्सीन या इंजेक्टेबल थैरेपी, फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट और खाद्य पदार्थ आदि के कारण पहले या बाद में किसी तरह के एलर्जी या रिएक्शन की शिकायत है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि वैक्सीन लगवाने के बाद छोटी-मोटी दिक्कत आम बात है लेकिन एनाफिलेक्सिस जैसी एलर्जी घातक हो सकती है. वैक्सीन में इस्तेमाल किसी भी इनग्रेडिएंट से अगर किसी को एलर्जी है तो उसे ये वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए.
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अस्थायी रूप से मनाही- कुछ स्थितियों में रिकवरी के बाद 4-8 सप्ताह के लिए कोविड वैक्सीनेशन स्थगित किया जाना जरूरी है. अगर किसी व्यक्ति में SARS-CoV-2 इंफेक्शन के लक्षण दिख रहे हैं तो उन्हें वैक्सीन नहीं दी जाएगी. SARS-CoV-2 मोनोक्लोनल एंटीबॉडी या प्लाज्मा लेने वालों को भी वैक्सीन नहीं मिलेगी. किसी भी बीमारी के कारण अस्वस्थ और अस्पताल में भर्ती मरीजों को भी वैक्सीन देने की मनाही है.
किन्हें दी जा सकती है वैक्सीन- जो लोग पहले कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हैं, उन्हें ये वैक्सीन दी जा सकती है. कार्डियाक न्यूरोलॉजिकल, फेफड़े, मेटाबॉलिक या कैंसर जैसी क्रॉनिक डिसीज से पीड़ित व्यक्ति को भी ये वैक्सीन दी जा सकती है. एचआईवी या किसी वजह से खराब इम्यूनिटी वाले लोग भी इस वैक्सीन को ले सकते हैं. हालांकि, इस तरह के लोगों में वैक्सीन का असर थोड़ा कम हो सकता है.
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विशेष सावधानियां- वैक्सीन को ब्लीडिंग या कोगुलेशन डिसऑर्डर (जैसे, क्लॉटिंग फैक्टर डिफिसिएंसी, कोगुलोपैथी या प्लेटलेट डिसॉर्डर) के इतिहास वाले व्यक्ति में सावधानी के साथ लगाया जाना चाहिए. वैक्सीन लगने के बाद इंजेक्शन साइट टेंडरनेस, इंजेक्शन साइट पेन, सिरदर्द, थकान, बुखार, शरीर में दर्द, पेट में दर्द, मतली, उल्टी, चक्कर आना, पसीना, ठंड, खांसी, इंजेक्शन साइट सूजन जैसे साधारण से लक्षण देखने को मिल सकते हैं.
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वैक्सीनेशन प्रोग्राम के तहत एक व्यक्ति को दो डोज दिए जाएंगे. ये दोनों वैक्सीन इंटरचेंजेबल नहीं हैं. यानी आपको पहला टीका जिस वैक्सीन का लगा था, सुनिश्चित करें कि दूसरा टीका भी उसी वैक्सीन का लगे.
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वैक्सीनेटर्स को ये दोनों वैक्सीन +2 डिग्री सेल्सियस से +8 डिग्री सेल्सियस के तापमान में स्टोर करके रखनी होगी. इन्हें लाइट से बचाकर रखें. अगर वैक्सीन जम गई हैं तो उन्हें तुरंत निकालकर अलग कर दें. वैक्सीन की जिम्मेदारी संभाल रहे लोगों को 14 दिनों के अंतराल से अलग किया जाना चाहिए.
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