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सांस की दिक्कत होने पर कोरोना मरीज भूलकर भी ना करें ये गलती

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 3:41 PM IST
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कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के बीच अस्पतालों में ऑक्सीजन को लेकर मारामारी मची है. इस बीच सोशल मीडिया पर ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने का एक घरेलू नुस्खा तेजी से वायरल हो रहा है. एक पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि कपूर, लौंग, अजवाइन और नीलगिरी के तेल की पोटली बनाकर सूंघने से ऑक्सीजन लेवल बढ़ता है. 

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इस वायरल पोस्ट में लिखा है, 'कपूर, लौंग, अजवाइन और नीलगिरी के तेल की कुछ बूंदें डालकर पोटली बना लें और इसे पूरे दिन सूंघते रहें. ये ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने और सीने में घरघराहट की दिक्कत दूर करने में मदद करता है. ये पोटली लद्दाख में पर्यटकों को दी जाती है जब ऑक्सीजन लेवल कम होता है.'
 

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आपको बता दें कि इस घरेलू नुस्खे का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. ये पोस्ट सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है. अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी फेसबुक पर इस पोस्ट को शेयर किया था. आइए जानते हैं कि इस नुस्खे में कितनी सच्चाई है और इसमें इस्तेमाल हर सामग्री का सेहत पर कैसा असर पड़ता है.
 

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कपूर- कपूर एक ज्वलनशील सफेद क्रिस्टलीय पदार्थ है जिसमें तेज सुगंध होती है. इसका इस्तेमाल कुछ लोग दर्द और खुजली होने पर करते हैं. ये कुछ मात्रा (4-5%) में विक्स वेपोरब में भी मिलाया जाता है. इसके प्रभावी होने के मिलेजुले सबूत हैं. कुछ पुरानी स्टडीज के मुताबिक कपूर और नीलगिरी तेल का बंद नाक पर कोई असर नहीं होता है.
 

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एक अन्य स्टडी के अनुसार इस बात का कोई सबूत नहीं है बंद नाक से राहत मिलने पर ऑक्सीजन स्तर में सुधार होता है. कपूर की थोड़ी सी भी ज्यादा मात्रा सूंघना खतरनाक हो सकता है, खासकर बच्चों के लिए. 
 

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अमेरिकी एसोसिएशन ऑफ प्वाइजन कंट्रोल सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2018 में अमेरिका में कपूर से फैले जहर के लगभग 9,500 मामले आए थे जिनमें से 10 को जान जाने का खतरा था और उनमें किसी ना किसी तरह की शारीरिक अक्षमता आ गई थी. FDA के अनुसार 11 फीसद से ज्यादा कपूर का इस्तेमाल जहरीला हो सकता है और इससे गंभीर दौरे पड़ सकते हैं.
 

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CDC की गाइडलाइन के मुताबिक कपूर सूंघने से नाक, गले और आंखों में जलन हो सकती है. इससे दौरे आने, दिमागी भ्रम और पेट दर्ट की शिकायत हो सकती है. ज्यादा मात्रा में ये मौत का भी कारण बन सकता है. 
 

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लौंग- पोटली में लौंग होने का दावा इटली के एकल साहित्य समीक्षा पर आधारित है. ऐसा माना जा रहा है कि लौंग SARS-CoV-2 पर असर डाल सकता है. हालांकि शोध में कहा गया है कि ये समीक्षा हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस पर आधारित है और इसका कोरोनावायरस से कोई संबंध नहीं है.
 

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ये रिसर्च यूजेनॉल कंपाउंड पर आधारित है जो लौंग, दालचीनी, जायफल और तुलसी में पाया जाता है और जिसे जहरीला माना जाता है. हालांकि वायरल पोस्ट में सिर्फ यूजेनॉल सूंघने की सलाह नहीं दी गई है. सिर्फ लौंग सूंघना खतरना हो सकता है. शोध में इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि लौंग ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाता है या सांस से जुड़ी दिक्कतें दूर करता है.
 

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अजवाइन और नीलगिरी का तेल- किसी भी स्टडी या शोध में इस बात के सबूत नहीं मिले हैं जिससे पता चल सके कि ये दोनों चीजें ब्लड ऑक्सीजन बढ़ाते हैं. अजवाइन और नीलगिरी के तेल के सांस से जुड़ी दिक्कत दूर करने के भी कोई साक्ष्य नहीं हैं.
 

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कई पोस्ट में इस बात का भी दावा किया जा रहा है कि एंबुलेंस में Covid-19 मरीजों के लिए इस घरेलू नुस्खे का इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रोटोकॉल में इस तरह के इलाज संबंधी किसी भी तरह की गाइडलाइन नहीं है.  
 

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कुल मिलाकर कहें तो इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि कपूर, लौंग या अजवाइन ब्लड ऑक्सीजन को बढ़ाते हैं या फिर सांस से जुड़ी समस्या ठीक करते हैं. ये साइनस या फिर हल्के श्वसन संक्रमण में राहत देने का काम कर सकते हैं. अच्छा होगा कि इस तरह के वायरल घरेलू नुस्खों पर आंख बंद पर करके भरोसा करने की बजाय आप अपनी समस्या के लिए डॉक्टर से संपर्क करें.

आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ अन्य घरेलू नुस्खों के बारे में-
 

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सोशल मीडिया पर ये भी दावा किया जा रहा है कि भाप लेने से कोरोना वायरस को खत्म किया जा सकता है. इसके लिए लोग पानी में तरह-तरह के तेल डालकर भाप लेते हैं. हालांकि, हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि लगातार भाप लेने से गले और फेफड़े से बीच की नली को नुकसान पहुंच सकता है जो कोरोना के लक्षणों को और गंभीर बना सकता है. 

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यूनिसेफ इंडिया की ओर से ट्विटर पर शेयर किए गए एक वीडियो में भी एक्सपर्ट ने बताया है कि स्टीम लेने के कई खराब परिणाम हो सकते हैं. इसके लगातार उपयोग से गले और फेफड़े से बीच की नली में टार्किया और फैरिंक्स जल सकते हैं या गंभीर रूप से डैमेज हो सकते हैं. इससे आपको सांस लेने में दिक्कत बढ़ सकती है और वायरस का शरीर में दाखिल होना और आसान हो सकता है. 

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कुछ लोग तरह-तरह का काढ़ा बनाकर पी रहे हैं. इनका मानना है काढ़ा पीने से शरीर में वायरस नहीं टिक पाएगा. आपको बता दें कि काली मिर्च, दालचीनी, जायफल और सोंठ जैसे मसाले बहुत गर्म होते हैं. इनकी थोड़ी भी ज्यादा मात्रा फायदे की बजाय नुकसान पहुंचा सकती है. इन गर्म मसालों पेट में जलन और मुंह में छाले भी हो सकते हैं. इसलिए काढ़ा मनाते समय सामग्री की मात्रा का खास ख्याल रखें.
 

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इसी तरह पिछले साल भी एक पोस्ट वायरल हुई थी जिसमें दावा किया गया था कि एक चम्मच काली मिर्च पाउडर में शहद और अदरक का रस मिलाकर 5 दिनों तक लगातार पीने से कोरोना के प्रभाव को 100% तक खत्म किया जा सकता है. ये दावा भी पूरी तरह से गलत है.
 

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WHO ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा था कि ये बात पूरी तरह गलत है. काली मिर्च का इस्तेमाल किसी भी तरह कोरोनावायरस से नहीं बचा जा सकता है. 

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कुछ दावों के मुताबिक लहसुन खाकर भी कोरोना के असर को खत्म किया जा सकता है. लहसुन में मौजूद एलिसिन नाम का तत्व इम्यून सेल्स को रोगों से लड़ने की ताकत देता है. हालांकि WHO के मुताबिक, इस बात के कोई साक्ष्य मौजूद नहीं हैं कि लहसुन में मौजूद तत्व कोरोना के वायरस पर असर डालते हैं. अदरक, लहसुन की ज्यादा मात्रा से ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है.

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