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100 साल से ज्यादा लंबी उम्र और सेहतमंद रहने का राज आया सामने

aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 13 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 3:15 PM IST
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इंसान के शरीर में कई तरह के बैक्टीरिया पाए जाते हैं. इनमें से कुछ गुड बैक्टीरिया होते हैं और कई हानिकारक बैक्टीरिया की कैटेगिरी में आते हैं. एक स्वस्थ जीवनशैली के लिए शरीर का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है और इसे स्वस्थ बनाए रखने में इंटेस्टाइन यानी आंत अहम भूमिका निभाती है.

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आंत में लगभग 300 से 500 विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया पाए जाते हैं. बैक्टीरिया के इस समूह को माइक्रोबायोटा के रूप में जाना जाता है. नेचर में प्रकाशित एक स्टडी में पाया गया कि जो लोग लगभग 100 वर्ष के हैं, उनकी आंत में कुछ ऐसे बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो शक्तिशाली एंटी-माइक्रोबियल यौगिकों का उत्पादन करते हैं.

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इस स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने 100 से अधिक उम्र के 160 लोगों के मल के सैम्पल्स को लेकर सैंटिनेरियन माइक्रोबायोटा का विश्लेषण किया. एक्सपर्ट्स ने 100 से अधिक उम्र के लोगों के माइक्रोबायोटा की तुलना 85 से 89 वर्ष की आयु के 122 बुजुर्ग व्यक्तियों से की और 21 से 55 वर्ष की आयु के 47 व्यक्तियों से की.

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स्टडी के अनुसार, ओडिरोबैक्टीरियासी नाम का एक बैक्टीरिया बाइल एसिड का उत्पादन करके अन्य खतरनाक बैक्टीरिया के विकास को रोकता है, 100 से अधिक उम्र के लोगों की आंत में काफी मात्रा में मौजूद था. सैम्पल से शोधकर्ताओं ने पाया कि बुजुर्गों और युवा व्यक्तियों की तुलना में 100 से अधिक उम्र के लोगों की आंत में ऐसे माइक्रोब्स मौजूद थे जो बाइल एसिड बनाने में सक्षम थे.

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नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार, बाइल एक तरल पदार्थ है जो लिवर द्वारा बनता है और गैल ब्लैडर में जाकर जमा हो जाता है. बाइल पाचन क्रिया में मदद करता है. स्टडी के लेखक, टोक्यो में केयो यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन में प्रोफेसर केन्या होंडा ने डेली मेल को दिए इंटरव्यू में बताया कि शायद जेनेटिक फैक्टर्स और डाइट का आंत के माइक्रोबायोटा की संरचना पर प्रभाव पड़ता है.

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बाइल एसिड जिसे आइसोएलो-लिथोचोलिक एसिड भी कहते हैं, आंत के पेथोजन के खिलाफ एंटीमाइक्रोबियल की तरह काम करता है. बाइल एसिड क्लोस्ट्रीडायोइड्स डिफिसाइल नामक बैक्टीरिया को रोकने में सक्षम साबित हुआ.

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एंटीबायोटिक दवाओं को लेने वाले लोगों में क्लोस्ट्रीडायोइड्स डिफिसाइल नामक बैक्टीरिया के कारण गंभीर रूप से डायरिया की समस्या हो सकती है. एनएचएस के अनुसार, सी. डिफिसाइल इंफेक्शन आंत से जुड़ी गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकता है. 

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प्रोफेसर होंडा ने कहा, हमारे निष्कर्ष ओडोरिबैक्टीरिया और 100 से अधिक उम्र के लोगों में संबंध दर्शाते हैं. हालांकि, इससे ये सुझाव दिया जा सकता है कि बाइल एसिड से जो बैक्टीरिया उत्त्पन होते हैं, वो लंबे जीवनकाल में योगदान दे सकते हैं. वे कहते हैं कि हमारे पास उनके बीच कारण और प्रभाव संबंध दिखाने वाला कोई डेटा नहीं है.

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पिछली स्टडीज में पाया गया है कि बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्मजीवों का समूह जो आंत में रहते हैं, उम्र बढ़ने के साथ हमारे स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

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इसके अलावा, मानसिक तनाव, अनिद्रा, मीठे का ज्यादा सेवन और निर्धारित एंटीबायोटिक्स सहित कई ऐसे फैक्टर्स हैं जो आंत को अस्वस्थ बनाने में मदद करते हैं.

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