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भारत में डबल म्यूटेंट से फैल रहा कोरोना? जानें कितने खतरनाक ये वेरिएंट्स

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 6:56 PM IST
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कोरोना वायरस का संकट फिर गहराता जा रहा है. कोई ऐसा सप्ताह नहीं बीत रहा है जब वैज्ञानिक किसी नए कोरोना वेरिएंट की पहचान न करते हों. अब तक ब्रिटेन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और न्यूयॉर्क में मिले वेरिएंट की काफी चर्चा रही है. लेकिन अब भारत की बारी है. (फाइल फोटो-Getty Images)

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मार्च के अंत में भारत के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) ने एक नए वेरिएंट 'डबल म्यूटेंट' की जानकारी दी. महाराष्ट्र, दिल्ली और पंजाब से लिए गए सैम्पल में इस वेरिएंट की पहचान की गई. फिलहाल, भारत में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और आलम यह है कि कई राज्यों ने कई पाबंदियों सहित नाइट कर्फ्यू का ऐलान किया है. (फाइल फोटो-PTI)

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हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का कहना है कि ये नए "डबल म्यूटेंट" वेरिएंट इतनी मात्रा में नहीं मिले हैं कि कहा जाए कि इसकी वजह से देशभर में कोरोना के मामलों में वृद्धि हो रही है. बल्कि माना जा रहा है कि शादियों, सिनेमा हॉल और जिमों में लोगों के जुटान के साथ-साथ पश्चिम बंगाल सहित जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, वहां बड़ी राजनीतिक रैलियों के कारण मामलों में तेजी आई है. (फाइल फोटो-Getty Images)

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फिर भी, यह 'वेरिएंट चिंता का विषय' (VOC) है और इसकी कड़ी निगरानी की जरूरत है. भारत के 10 लैब्स में जिनोम सिक्वेंसिंग की गई जिसमें नए वेरिएंट में दो महत्वपूर्ण म्यूटेशन की पहचान की गई, जिसे "डबल म्यूटेंट" कहा जा रहा है. (फाइल फोटो-Getty Images)

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पहला म्यूटेशन E484Q ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के म्यूटेशन E484K की तरह ही है जो कोरोना वायरस के संक्रमण को स्पाइक प्रोटीन में बदलाव ला सकता है. स्पाइक प्रोटीन कोरोना वायरस की बाहरी परत का हिस्सा है. वायरस इसका इस्तेमाल मानव कोशिकाओं के साथ संपर्क बनाने के लिए उपयोग करता है और इसके जरिये यह लोगों में एंट्री करता है, उन्हें संक्रमित करता है.  (फाइल फोटो-Getty Images)
 

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कोरोना वायरस से निपटने के लिए तैयार किए गए वैक्सीन मानव शरीर में एंटीबॉडी तैयार करने के लिए बनाए गए हैं जो विशेष रूप से स्पाइक प्रोटीन से निपटने में कारगर हैं. अलजजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चिंता इस बात की है कि यदि म्यूटेशन स्पाइक प्रोटीन का आकार बदलता है तो एंटीबॉडी इसकी शिनाख्त और वायरस को प्रभावी रूप से निष्क्रिय नहीं कर पाएगा. वैज्ञानिक जांच कर रहे हैं कि क्या यह E484Q म्यूटेशन के मामले में भी ऐसा हो सकता है. (फाइल फोटो-Getty Images)

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दूसरा म्यूटेशन L452R है जिसे अमेरिका के कैलिफोर्निया में कोरोना वायरस फैलने का कारण बताया जा रहा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह म्यूटेशन स्पाइक प्रोटीन को बढ़ाता है जो कोरोना संक्रमण के लिहाज से संवेदनशील है. अध्ययन से यह भी पता चला है कि वैक्सीन लेने के बाद बनने वाले एंटीबॉडी को भी यह म्यूटेशन बेअसर कर सकता है. वैज्ञानिक इसका भी अध्ययन कर रहे हैं. (फाइल फोटो-Getty Images)

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ये दोनों म्यूटेशन E484Q और म्यूटेशन L452R मिलकर इस डबल वेरिएंट को चिंता का विषय बनाते हैं. अगर ये वेरिएंट भारत में मजबूत हुए तो चिंता बढ़ेगी. (फाइल फोटो-Getty Images)

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अब सबकी निगाहें ब्रिटेन के B117 वेरिएंट पर है जिसमें N501Y म्यूटेशन शामिल है और संक्रमण में इसकी हिस्सेदारी 60 फीसदी तक है. यह भारत में भी काफी पाया गया है. ब्रिटेन का यह वेरिएंट दुनिया के 125 देशों में पाया गया है.  (फाइल फोटो-रॉयटर्स)

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नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल का कहना है कि पंजाब से लिए गए 401 नमूनों में से 81 फीसदी सैम्पल को जिनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजा गया है जिनमें यूके वेरिएंट पाया गया है. वैज्ञानिकों की चिंता यह है कि यह वेरिएंट न केवल भारत में प्रभावी है बल्कि कोरोना संक्रमण के मामलों को भी बढ़ा रहा है. (फाइल फोटो-Getty Images)

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नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने भारतीय प्रशासन से जिनोम सिक्वेंसिंग की मात्रा को तेज से बढ़ाने की अपील की है ताकि नए और खतरनाक वेरिएंट्स की पहचान की जा सके और जो लोग इसकी चपेट में आए हैं उन्हें आइसोलेट किया जा सके. (फाइल फोटो-Getty Images)

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महत्वपूर्ण बात यह कि वायरस के नए वेरिएंट्स की पहचान की जानी जरूरी है. राहत वाली बात यह है कि जो दवा कंपनियां वैक्सीन बना रही हैं, वो इन वेरिएंट्स से निपटने वाले टीके फौरन बनाने में सक्षम हैं. इसमें कंपनियों को मामूली समय लगना है. ब्रिटेन ने पहले ही ऐसे बूस्टर का ऐलान किया है.(फाइल फोटो-Getty Images)

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