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इस अर्थशास्त्री ने कहा- सरकार 10% GDP के लिए उठाए ये कदम

aajtak.in
  • 27 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 1:18 PM IST
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क्या अच्छे दिन आने वाले हैं? क्या अर्थव्यवस्था की गाड़ी फिर से पटरी पर तेज दौड़ने वाली है? देश की जनता सरकार की ओर उम्मीद की नजर से देख रही है. सरकार भी लगातार कह रही है कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर बहुत सारे कदम उठाए गए हैं, और आने वाले दिनों में उसका असर दिखने वाला है. (Photo: File)

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दरअसल, भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर अरविंद पनगढ़िया का बड़ा बयान है, पनगढ़िया फिलहाल कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं, और जनवरी 2015 से अगस्त 2017 तक नीति आयोग के उपाध्यक्ष रह चुके हैं. उनके इस्तीफे के बाद सवाल उठा था कि सरकार के साथ खींचतान की वजह से उन्हें पद छोड़ना पड़ा. (Photo: File)

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पिछले दिनों पनगढ़िया ने भी सरकार की कई नीतियों पर उठाए थे. लेकिन अब पनगढ़िया के बयान में सरकार के लिए राहत की खबर है. नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया का कहना है कि भारत में आर्थिक सुस्ती अब समाप्ति की ओर है. यानी आने वाले महीनों में अब अर्थव्यवस्था में तेजी देखने को मिलेगी. हालांकि उन्होंने कहा कि देश को 10 फीसदी वृद्धि के लक्ष्य को हासिल करने के लिए नीतियों को और अधिक खुला बनाने की आवश्यकता है. (Photo: File)

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केन्द्रीय बजट 2020 पर परिचर्चा के दौरान अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर (GDP) 6 फीसदी रहने का अनुमान है. इसके बाद यह 7 से 8 प्रतिशत की दर पर पहुंच जाएगी जैसा की पिछले 15 से 16 साल की अवधि में यह रही है. (Photo: File)

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भारत के महावाणिज्य दूत द्वारा 25 फरवरी को भारत-अमेरिका रणनीतिक भागीदारी मंच (USISPF) के साथ भागीदारी में आयोजित इस कार्यक्रम में पनगढ़िया ने कहा कि आर्थिक सुस्ती के मामले में मेरा अपना आकलन है कि अब यह जितनी नीचे आनी थी, आ चुकी है. (Photo: File)

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उन्होंने कहा, 'चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में जो कि 31 मार्च को खत्म हो रही है, हमें कुछ सुधार दिखाई देगा. बहुत ज्यादा नहीं होगा लेकिन यह निश्चित है कि पहली छमाही के मुकाबले दूसरी छमाही बेहतर होगी.' (Photo: File)

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पनगढ़िया की मानें तो 2003 के बाद से भारत ने औसतन करीब 7 फीसदी आर्थिक वृद्धि हासिल की है. मोदी सरकार के पहले 5 साल के कार्यकाल में यह औसतन 7.5 फीसदी के दायरे में रही है. (Photo: File)

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उन्होंने कहा, 'इसमें कोई शक नहीं कि भारतीय अर्थव्यवस्था काफी अच्छा कर सकती है.' उनके आकलन के मुताबिक अर्थव्यवस्था में सुस्ती की प्रमुख वजह वित्तीय बाजार रहे हैं. वित्तीय बाजारों में समस्या की वजह से बैंकों के अपने खाते बिगड़ने के साथ ही कंपनियों के लेखा-जोखा का भी संतुलन बिगड़ा है.' (Photo: File)

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पनगढ़िया ने कहा, 'इस मामले में बैंकों की फंसे कर्ज की समस्या से निपटने की धीमी प्रक्रिया को लेकर आप सरकार की आलोचना कर सकते हैं. समस्या के बारे में वास्तव में 2013 में ही पता चल गया था. लेकिन फंसे कर्ज यानी एनपीए की इस समस्या को कभी भी तेजी से नहीं सुलझाया गया.' (Photo: File)

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हालांकि, अब जबकि इस समस्या का समाधान हो रहा है, उन्होंने उम्मीद जाहिर करते हुये कहा, 'हम देखेंगे की आर्थिक वृद्धि लौटने लगी है.' अरविंद पनगढ़िया जनवरी, 2015 से अगस्त, 2017 तक नीति आयोग के उपाध्यक्ष के पद पर रह चुके है. (Photo: File)

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