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मोदी सरकार को चाहिए पैसे, 18 दिसंबर को बढ़ सकता है GST में टैक्स

aajtak.in
  • 11 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 11:35 PM IST
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केंद्र सरकार को लगातार पिछले कुछ महीनों से जीएसटी कलेक्शन के मोर्चे पर झटका लग रहा है. सरकार को जितनी उम्मीद थी, उससे बहुत कम कलेक्शन हो रहा है. ऐसे में सरकार जीएसटी में बड़े बदलाव की तैयारी में है, ताकि टैक्स में इजाफा हो और उस फंड का इस्तेमाल अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए किया जा सके.

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हालांकि नवंबर महीने में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कलेक्शन 6 फीसदी बढ़ा है. नवंबर महीने में जीएसटी कलेक्शन 1.03 लाख करोड़ रुपये रहा. इस बीच अब 18 दिसंबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की बैठक होने वाली है और इस बैठक में टैक्स स्लैब में बदलाव किए जाने के आसार हैं.

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दरअसल जीएसटी कलेक्शन में गिरावट की वजह केंद्र सरकार को हर महीने करीब 13,750 करोड़ रुपये राज्यों को बतौर मुआवजा देना पड़ रहा है. सूत्रों के मुताबिक 5 फीसदी वाले जीएसटी स्लैब को बढ़ाकर 6 से 8 फीसदी किया जा सकता है. वहीं 12 फीसदी वाले स्लैब को 15 फीसदी किया जा सकता है.

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बता दें, जीएसटी संग्रह के लक्ष्य से लगातार पीछे चल रही सरकार ने कमाई बढ़ाने के लिए जीएसटी अधिकारियों से सलाह मांगी थी. मंगलवार को केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों ने बैठक की. इस बैठक में सिफारिश की गई है कि 5 फीसदी टैक्स स्लैब को बढ़ाकर 8 फीसदी किया जाए.

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वर्तमान में जीएसटी के चार स्लैब हैं- 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी. 28 फीसदी टैक्स स्लैब में आने वाली वस्तुओं पर सेस भी लगाया जाता है जो कि 1 से 25 फीसदी के बीच हो सकता है.

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इसके अलावा खबर की मानें तो राज्यों के अधिकारी और जीएसटी के स्टेकहोल्डर्स की ओर सुझाव है कि 4 स्लैब वाले जीएसटी को तीन स्लैब में बदल दिया जाए, जिसके तहत 5 फीसदी के स्लैब को बढ़ाकर 8 फीसदी, 12 फीसदी के स्लैब को 18 फीसदी में मर्ज कर दिया और 28 फीसदी के स्लैब को वैसा ही रहने दिया जाए. हालांकि इस खबर की पुष्टि नहीं हुई है.

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गौरतलब है कि मोदी सरकार ने 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का लक्ष्य रखा है. लेकिन इकोनॉमी में रफ्तार नहीं पकड़ रही है. वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ पांच फीसदी से नीचे पहुंच गई है. कई सेक्टर्स को मुआवजे की जरूरत है, ऐसे में सरकार पर बोझ बढ़ रहा है और इससे निपटने के लिए जीएसटी कलेक्शन को बढ़ाना बेहद जरूरी हो गया है.

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