Advertisement

बिजनेस

इबोला, जीका या कोरोना, ऐसी महामारी से गरीब देश हो जाता है कंगाल!

aajtak.in
  • 17 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 7:58 PM IST
  • 1/14

कोरोना जैसी महामारियों से हर साल दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं को करीब 37 लाख करोड़ की चपत लगती है. लोगों की जान लेने के साथ ही ये महामारियां कारोबार और नौकरियों को भी बड़ा नुकसान पहुंचाती हैं. मेडिकल साइंस के इतना तरक्की करने के बावजूद अभी तक भी इनसे निपटने का कोई ठोस विकल्प नहीं तलाशा जा सका है.

  • 2/14

आजकल दुनियाभर में कोरोना का कोहराम मचा हुआ है. WHO ने इसे महामारी घोषित कर दिया है. मेडिकल साइंस में तेजी से तरक्की के बावजूद फिलहाल इसका कोई तोड़ किसी भी मुल्क के पास नहीं है. इस महामारी के चलते वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होने की आशंका है.

  • 3/14

लेकिन कोरोना कोई नई महामारी नहीं है. दुनिया के अलग-अलग देशों में इस तरह की महामारियों से लोगों की जान जाती हैं और अर्थव्यवस्थाओं को लाखों-करोड़ों का नुकसान होता है. यूरोपियन संसद की एक रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी के चलते वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था को 500 बिलियन डॉलर यानी करीब 36 लाख 97 हजार 950 करोड़ रुपये का सालाना नुकसान उठाना पड़ता है.

Advertisement
  • 4/14

नुकसान का ये आंकड़ा कुल वैश्विक आमदनी का 0.6 फीसदी है. साथ ही महामारी से बड़ी तादाद में लोगों की मौत हो जाती है वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक महामारी से सालाना दुनियाभर में होने वाली मौतों की संख्या करीब 7 लाख 20 हजार है.

  • 5/14

जानकारों का मानना है कि कोई भी महामारी तमाम आर्थिक गतिविधियों पर रोक लगाने के साथ-साथ इलाज और दवाओं पर खर्च बढ़ाती है, जिससे अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचता है.

  • 6/14

कोरोना से पहले 3 साल तक इबोला वायरस ने भी जमकर कहर बरपाया था. इस महामारी के चलते 2013-2016 में लाइबेरिया जैसे देशों की जीडीपी ग्रोथ रेट में 8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.

Advertisement
  • 7/14

इन महामारियों से सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब और कम आमदनी वाले देश होते हैं. महामारी से गरीब और मिडिल इनकम ग्रुप वाले देशों की अर्थव्यवस्था में 1.6 फीसदी की दर से प्रभावित होती है, जबकि विकसित देशों पर महामारी से 0.3 फीसदी असर पड़ता है.

  • 8/14

2019 की वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन और विश्व बैंक की साझा रिपोर्ट के मुताबिक महामारी से ग्लोबल जीडीपी 2.2 फीसदी से 4.8 फीसदी की दर से कमजोर होती है. एक अनुमान के मुताबिक वैश्विक अर्थव्यवस्था को 3 ट्रिलियन डॉलर तक नुकसान उठाना पड़ता है.

  • 9/14

सहारा और अफ्रीकन देशों की जीडीपी महामारी से 1.7 फीसदी की दर से कमजोर हुई है. इससे इन देशों को 28 बिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा है.

Advertisement
  • 10/14

वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक इबोला महामारी से पहले गुआना, लाइबेरिया जैसे देशों की अर्थव्यवस्था की रफ्तार दुनिया में सबसे तेज थी. लेकिन इबोला के चलते इन देशों में कृषि क्षेत्र में कमी के चलते खाने का अकाल सा हो गया. साथ ही सामान और सर्विस के लिए अन्य देशों पर निर्भरता बढ़ गई.

  • 11/14

मामला इबोला तक ही सीमित नहीं है. इसके पहले जीका वायरस से लैटिन अमेरिका और कैरिबियाई देशों का मेडिकल खर्च 7 से 18 बिलियन बढ़ गया था. एचआईवी के इलाज पर सालाना तौर पर औसतन 23,000 डॉलर का खर्च आता है.

  • 12/14

  • 13/14

2003 में सार्स वायरस के चलते हांगकांग, सिंगापुर में कंज्यूमर खर्च प्रभावित हुआ था. 1996 में Creutzfeldt-jocob बीमारी फैलने पर यूके के 3.4 बिलियन पाउंड व्यापार पर असर पड़ा था. 1997 में रिफ्ट वैली फीवर फैलने की वजह से सोमालिया का प्रोडक्शन और ट्रेड दोनों 60 से 65 फीसदी कम हो गया था.

  • 14/14

Advertisement

लेटेस्ट फोटो

Advertisement