शेयर बाजार में जोखिम देखने वाले ज्यादातर निवेशकों को म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने की सलाह दी जाती रही है. लेकिन इस बार जिस तरह से शेयर बाजार में गिरावट की आंधी चली है, उसने शेयर बाजार में निवेश करने वालों से ज्यादा नुकसान म्यूचुअल फंड्स निवेशकों को पहुंचाया है.
पिछले एक महीने में गिरावट के हिसाब से देखें तो म्यूचुअल फंड निवेशकों की रकम में तेजी से कमी आई है. इस दौरान सेंसेक्स जहां करीब साढ़े 21 फीसदी लुढ़का है वहीं निफ्टी भी करीब 22 फीसदी तक गिरा है.
मिडकैप इंडेक्स में भी बीते एक महीने में करीब 22.5 फीसदी की गिरावट आ चुकी है. पिछले एक महीने के दौरान इक्विटी सेग्मेंट में हर कैटेगिरी ने निवेशकों को निगेटिव रिटर्न दिया है और उनका 37 फीसदी तक निवेश साफ हो गया है.
ऐसे में इक्विटी मार्केट के निवेशकों ही नहीं इक्विटी म्यूचुअल फंड के निवेशकों को भी जमकर नुकसान उठाना पड़ा है. लार्जकैप हो या मिडकैप या मल्टीकैप, हर कैटेगिरी ने निवेशकों को निराश किया है.
एनर्जी सेक्टर में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई है. वहीं, पीएसयू और बैंकिंग फंड्स को भी जमकर नुकसान हुआ है. इंटरनेशनल इक्विटी फंड कैटेगिरी तो 20 फीसदी से ज्यादा कमजोर हुआ है.
फॉर्मा सेक्टोरल फंड को छोड़कर सभी में दोहरे अंकों में निगेटिव रिटर्न देखने को मिला. सुरक्षित निवेश माने जाने वाले ईएलएसएस कैटेगिरी में भी 16 फीसदी से ज्यादा गिरावट रही है.
हालांकि इस गिरावट का ये मतलब कतई नहीं है कि सभी म्यूचुअल फंड्स में इस तरह का झटका निवेशकों को लगा है, जिन लोगों ने डेट और इक्विटी के संतुलित फंड्स में निवेश किया होगा उनके लिए इतना घबराने की जरूरत नहीं है.
ऐसे में जानकारों का कहना है कि निवेश की रणनीति में निवेश के सभी विकल्पों को बराबर जगह देने की जरूरत है. कुल मिलाकर जिस तरह का माहौल आने वाले दिनों में भी बने रहने की आशंका है उसे देखते हुए तो गिरावट का असर अभी आगे और बढ़ सकता है.
हालांकि ऐसे में दुनिया के सबसे बड़े निवेशकों में से एक वॉरेन बफे के मंत्र को भी याद रखना चाहिए कि हर एक गिरावट निवेश का मौका लेकर आती है. लेकिन निवेश केवल लॉन्ग टर्म के लिए करने पर ही फायदा मिलता है, ये भी याद रखना जरूरी है.