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कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा भारत, एक साल में बदली तस्वीर?

aajtak.in
  • 09 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 3:06 PM IST
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आत्मनिर्भर भारत की दिशा में केंद्र सरकार ने कोल इंडिया से तापीय कोयले (गैर-कोकिंग) के आयात को शून्य करने का सुझाव दिया है. अब इसका असर होने लगा है. देश में कोयले के उत्पादन में बढ़ोतरी से धीरे-धीरे कोयले का आयात घटने लगा है.

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जुलाई में कोयले का आयात में 43 फीसदी गिरकर 11.13 मिलियन टन रहा है. जबकि जुलाई-2019 में 19.61 मिलियन टन का कोयला आयात हुआ था. दरअसल पिथेड्स, प्लांट और बंदरगाहों पर सूखे ईंधन के उच्च भंडारण की वजह से आयात में गिरावट आई है.

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एमजंक्शन सर्विसेज के आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई 2019 के मुकाबले जुलाई- 2020 में कोयले का आयात घटा है. अप्रैल-जुलाई 2020 में कुल कोयले के आयात  57.27 मिलियन टन रहा, जबकि अप्रैल-जुलाई 2019 में 89.15 मिलियन टन था. इस हिसाब में अब 35.76 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.

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अप्रैल-जुलाई 2020 के दौरान गैर-कोकिंग कोयला या तापीय कोयले का आयात 38.84 मिलियन टन रहा, जो कि इस समान अवधि में पिछले साल 60.97 मिलियन टन था. इसी प्रकार, कोकिंग कोयले का आयात अप्रैल-जुलाई 2020 में 10.67 मिलियन टन रहा, जबकि अप्रैल-जुलाई 2019 में 17.73 मिलियन टन था.

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एमजंक्शन टाटा स्टील और सेल का संयुक्त उपक्रम है. यह कोयला एवं इस्पात क्षेत्र से जुड़ी रपट प्रकाशित करता है. यही नहीं, कोयले के स्टॉक में पिछले एक साल में तेजी से इजाफा हुआ है. पिछले साल 16 जुलाई को 33.17 मिलियन टन था, जो इस साल 16 जुलाई को बढ़कर 72.88 मिलियन टन हो गया.

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गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनर्भिर भारत के सपने को साकार करने के लिए भारत कोयला आयात शून्य करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. सरकार ने वर्ष 2023-24 तक एक बिलियन टन कोयला निकालने का लक्ष्य रखा है.

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गौरतलब है कि देश का ऊर्जा क्षेत्र बिजली उत्पादन के लिए काफी हद तक तापीय कोयले पर निर्भर करता है. 70 प्रतिशत बिजली उत्पादन कोयला आधारित है. वहीं कोकिंग कोयले का इस्तेमाल मुख्य रूप से इस्पात विनिर्माण में होता है.

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चीन और अमेरिका के बाद भारत तीसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश है. देश में 299 अरब टन के कोयला संसाधन है. इनमें से करीब 123 अरब टन का पुष्ट भंडार है. भारत का कोयला भंडार 100 साल तक कायम रह सकता है.

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