बीते कुछ समय से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने नियमों का उल्लंघन करने वाले बैंकों पर सख्ती दिखाई है. पीएमसी बैंक समेत अन्य कई को-ऑपरेटिव बैंक पर 6 महीने की पाबंदी लगा दी तो वहीं कई बैंकों को प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (PCA) फ्रेमवर्क में डाल दिया है.
इसी के तहत आरबीआई ने भारतीय ओवरसीज बैंक को भी PCA फ्रेमवर्क में डाला था. दरअसल, आरबीआई किसी बैंक को PCA फ्रेमवर्क में तब डालता है जब लगता है कि बैंक को आय नहीं हो रही है या फिर नॉन परफॉर्मिंग एसेट यानी एनपीए बढ़ रहा है.
भारतीय ओवरसीज बैंक का भी एनपीए 6 फीसदी से अधिक बढ़ गया था. यही वजह है कि आरबीआई ने इस बैंक पर कार्रवाई की थी. हालांकि, अब भारतीय ओवरसीज बैंक आरबीआई से अपील करने वाला है.
PCA फ्रेमवर्क का मतलब ये हुआ कि भारतीय ओवरसीज बैंक न तो नए कर्ज दे सकता है और न ही नई ब्रांच खोल सकता है. यानी अगर आरबीआई, बैंक की बात मान लेता है तो बड़ी राहत होगी.
बता दें कि बैंक पिछले साढ़े चार साल से नुकसान में है. चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में बैंक को 6,075 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ जबकि एक साल पहले इसी अवधि में उसे 346 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था.
फंसे कर्ज के एवज में 6,664 करोड़ रुपये का प्रावधान करने की वजह से बैंक का घाटा बढ़ा है. भारतीय ओवरसीज बैंक के एमडी कर्णम शेकर की मानें तो बैंक के घाटे का कारण मुख्य रूप से कॉरपोरेट खाता है, लेकिन अब इसका समाधान कर लिया गया है.
कर्णम शेकर के मुताबिक बैंक के एक बार लाभ में आने के साथ वह रिजर्व बैंक के पीसीए फ्रेमवर्क से जल्द ही बाहर हो जाएगा. बहरहाल, अब देखना अहम है कि आरबीआई बैंक की अपील पर क्या फैसला लेगा.