भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) में केंद्र सरकार अपनी हिस्सेदारी कम करेगी. बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस ऐलान से निवेशक घबराए हुए हैं. क्योंकि ग्रामीण इलाकों में एलआईसी की पहुंच घर-घर तक है. अब उनके मन में सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने जो एलआईसी की पॉलिसी ले रखी है, उसका क्या होगा? लोग यह भी जानना चाह रहे हैं कि IPO आने के बाद कंपनी का मालिकाना हक सरकार के पास रहेगा या नहीं? ऐसे तमाम सवालों को जवाब यहां मिल जाएंगे. (Photo: Getty)
सवाल- LIC की कितनी हिस्सेदारी बेची जाएगी? या, सरकार कितनी हिस्सेदारी बेचने वाली है?
जवाब- केंद्र सरकार आईपीओ के जरिये कम से कम 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी, क्योंकि यह एक मानदंड के अनुरूप है. बाजार विनियामक SEBI के मानक के अनुसार, IPO में 4,000 करोड रुपये से ऊपर की पोस्ट इश्यू वाली कंपनियों के लिए आवश्यक ऑफर कम से कम 10 फीसदी है.
सवाल- LIC का IPO कब तक आएगा? या कब सरकार LIC का आईपीओ लेकर आएगी?
जवाब- एलआईसी में सरकार की हिस्सेदारी बेचने के संबंध में वित्त सचिव राजीव कुमार ने बताया कि LIC को अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में सूचीबद्ध किया जाएगा. यानी इसी साल ही LIC का आईपीओ आएगा. हालांकि राजीव कुमार ने कहा कि इसके समय, तरीके और परिमाण पर अभी फैसला नहीं लिया गया है.
सवाल- IPO आने से LIC पॉलिसी धारक पर क्या असर पड़ेगा?
जवाब- जानकार बताते हैं कि सरकार की इस पहल से निवेशकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. यानी जिसने भी एलआईसी की पॉलिसी ले रखी है, उन्हें किसी तरह से घबराने की जरूरत नहीं है. यही नहीं, LIC के IPO में निवेश करना भी एक बेहतर और सुरक्षित विकल्प होगा. LIC के IPO पर DFS और DIPAM दोनों मिलकर काम करेंगे. (Photo: Getty)
सवाल- कितना बड़ा LIC के IPO का साइज होगा?
जवाब- शेयर बाजार के एक्सपर्ट मानते हैं कि LIC का आईपीओ दशक का सबसे बड़ा आईपीओ हो सकता है. यह भारतीय बाजारों के लिए सऊदी अरामको को सूचीबद्ध कराने जैसा होगा. शेयर बाजार में लिस्टेड होने के बाद LIC मार्केट कैप के हिसाब देश की सबसे बड़ी कंपनी बन सकती है. इसका बाजार मूल्यांकन आठ से 10 लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है.
सवाल- LIC का आईपीओ लाने के पीछे सरकार का मकसद क्या है?
जवाब- एलआईसी में हिस्सेदारी बेचने के पीछे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का तर्क है कि सूचीबद्धता से कंपनियों में वित्तीय अनुशासन बढ़ता है. वहीं सरकार ने FY21 के लिए कुल 2.10 लाख करोड़ के विनिवेश का टारगेट रखा है. सरकार की अगले वित्तवर्ष में LIC के IPO और IDBI Bank में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचकर 90,000 करोड़ जुटाने की योजना है. सरकार का लक्ष्य है कि सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी को घटाकर 35 फीसदी करना है.
सवाल- LIC में हिस्सेदारी बेचने के बाद कंपनी का मालिकाना हक किसके पास होगा?
जवाब- सरकार का कहना है कि LIC का कुछ हिस्सा ही IPO के जरिये विनिनेश किया जाएगा. इसका मालिकाना हक यानी सॉवरेन गारंटी सरकार के पास ही रहेगी. यानी मालिकाना हक पहले की तरह ही सरकार के पास ही रहेगा.
सवाल- LIC का आईपीओ आने के बाद क्या होगा? यानी शेयर बाजार में लिस्टेड होने के बाद कंपनी पर क्या असर पड़ेगा?
जवाब- वित्त सचिव राजीव कुमार ने बताया कि एलआईसी को बाजार में सूचीबद्ध करने के लिए कानून में बदलाव किया जाएगा और जरूरी बदलाव के लिए कानून मंत्रालय को सूचित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि हिस्सेदारी कम करने में प्राइवेट इक्विटी प्लेयर्स को शामिल किया जाएगा और पब्लिक ऑफर पर भी ध्यान दिया जाएगा. सरकार का कहना है कि इससे लोगों का कंपनी पर विश्वास और बढ़ेगा.
सवाल- IPO आने के बाद शेयर बाजार में LIC का मार्केट कैप क्या होगा?
जवाब- बाजार के जानकार मानते हैं कि अगर एलआईसी का IPO आता है तो यह बाजार के
मूल्यांकन (मार्केट कैप) के हिसाब से भारत की सबसे बड़ी कंपनी बन सकती है.
मौजूदा समय में मार्केट कैप के हिसाब से रिलांयस इंडस्ट्रीज सबसे बड़ी
कंपनी है.
सवाल- LIC का क्या है कारोबार, और किस तरह की है बैलेंस शीट?
जवाब- भारतीय शेयर बाजार में एलआईसी सालाना औसतन 55 से 65 हजार करोड़ रुपये निवेश करती है. वित्त वर्ष 2018-19 में एलआईसी ने बाजार में 68,621 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था. एलआईसी ने शेयरों में निवेश से 23,621 करोड़ का मुनाफा कमाया. वित्त वर्ष 2018-19 में एलआईसी का कुल निवेश 28.74 लाख करोड़ रुपये था. इसके साथ ही इसकी कुल संपत्ति बढ़कर 31.11 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई थी. इस अवधि में प्रीमियम से आयकर बढ़कर 3.37 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई. कंपनी की कुल कमाई 5.60 लाख करोड़ के करीब रही. (Photo: Getty)
सवाल- एलआईसी का गठन कब हुआ और कितनी इसके पास संपत्ति है?
जवाब- भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है. 1956 में स्थापित LIC की कुल संपत्ति इस वक्त करीब 36 लाख करोड़ रुपये की है. एलआईसी अभी तक पूरी तरह से सरकारी कंपनी है और सरकार की 100 फीसदी हिस्सेदारी है.