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घर में पड़े सोने पर मोदी सरकार की नजर, इस योजना में बदलाव की तैयारी

aajtak.in
  • 19 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 8:47 AM IST
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आमतौर पर लोग सोने की खरीदारी कर घर में रखना पसंद करते हैं. इससे लोगों को न तो कोई रिटर्न मिलता है न ही अर्थव्यवस्था को फायदा होता है.

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हालांकि सरकार की ओर से 'गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम' के तहत घरों में निष्‍क्रिय पड़े सोने पर रिटर्न दिया जाता है. लेकिन इसके बावजूद लोग इस योजना में ज्‍यादा दिलचस्‍पी नहीं दिखा रहे हैं. ऐसे में अब सरकार 'गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम' में बदलाव करने की तैयारी में है.

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न्‍यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने  'गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम' में सुधार को लेकर ज्‍वेलरी इंडस्‍ट्री से सुझाव देने को कहा है. गोयल ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि लोगों की तिजोरी में बड़ी मात्रा में सोना निष्क्रिय पड़ा है. इससे न तो कोई रिटर्न मिलता है न ही अर्थव्यवस्था को लाभ होता है. ’’

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उन्‍होंने आगे कहा कि मैं आप सभी से चाहूंगा कि ऐसी योजना बनाने में मदद करें जिससे इस योजना के प्रति आकर्षण बढ़े और लोग घरों में पड़े सोने को बैंकों में जमा करें.पीयूष गोयल ने कहा कि हमारा मकसद लोगों को निष्क्रिय पड़े सोने को बैंकों में जमा करने के लिए प्रोत्साहित करना और उस पर आय प्राप्त करना होना चाहिए.

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गोयल के मुताबिक सोने के उत्पादक कार्यों में उपयोग से आयात के कारण विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ रहे बोझ को कम किया जा सकता है. बता दें कि सरकार ने 2015 में 'गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम' की शुरुआत की थी.

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हालांकि कम रिटर्न और सुरक्षा चिंताओं के कारण योजना को अच्छी प्रतिक्रया नहीं मिली. योजना के तहत बैंक निश्चित अविधि के लिए ग्राहकों को सोना जमा करने की अनुमति देता है.

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 इस पर 2.25 फीसदी से 2.50 फीसदी तक ब्याज मिलता है. स्कीम के तहत कम से कम 30 ग्राम 995 शुद्धता वाला सोना बैंक में रखना होगा. इसमें बैंक गोल्ड-बार, सिक्के, गहने (स्टोन्स रहित और अन्य मेटल रहित) मंजूर करेंगे.

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