अर्थव्यवस्था में गिरावट से आम आदमी के साथ-साथ सरकार भी चिंतित है. जीडीपी लुढ़क कर 4.5 फीसदी पर पहुंच गई है. हर कोई इस इंतजार में है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में फिर तेजी कब आएगी. सरकार भी इस दिशा में लगातार कदम उठा रही है. देश का मिजाज जानने के लिए आजतक-कार्वी इनसाइट्स ने इसी महीने एक सर्वे किया है. जिसमें अर्थव्यवस्था से जुड़े कई लोगों से पूछे गए. ये सर्वे 19 राज्यों के 97 संसदीय क्षेत्रो में किया गया है. सर्वे के दौरान 12141 लोगों से बात की गई. (Photo: File)
1. देश के सामने क्या है सबसे बड़ा मुद्दा?
इस सवाल के जवाब में 32 फीसदी लोगों ने कहा कि मौजूदा दौर में बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है. 15 फीसदी लोग किसानों की स्थिति को बड़ी समस्या मानते हैं. जबकि 14 फीसदी लोग महंगाई से परेशान दिखे. भ्रष्टाचार को 12 फीसदी लोगों ने बड़ा मुद्दा बताया. 10 फीसदी लोगों ने माना कि देश के लिए अर्थव्यवस्था में गिरावट सबसे बड़ी समस्या है. यानी गिरती अर्थव्यवस्था से केवल 10 फीसदी लोग प्रभावित हैं.
शिक्षा एक फीसदी लोगों के लिए फिलहाल चिंता का विषय है. जबकि तीन फीसदी लोग मानते हैं कि समाज में बढ़ती असहिष्णुता से उन्हें डर लगता है. सर्वे में एक फीसदी लोगों ने कहा कि आतंकवाद बड़ा मुद्दा है. इससे पहले आजतक ने अगस्त 2019 में 'मूड ऑफ द नेशन' के जरिये देश का मिजाज टटोलने के लिए कोशिश की थी. अगर जनवरी 2020 और अगस्त-2019 की तुलना करते हैं तो सर्वे में कई आंकड़े बिल्कुल बदल गए हैं. अगस्त 2019 में 35 फीसदी लोगों के लिए बेरोजगारी समस्या थी. जबकि जनवरी-2020 में 32 फीसदी लोगों ने सर्वे में माना कि उनके लिए बेरोजगारी चिंता का विषय है. (Photo: File)
जिस तरह के पिछले 6 महीनों में महंगाई बढ़ी है, उसी तरह से सर्वे के आंकड़ों में इजाफा देखने को मिल रहा है. अगस्त-2019 में 10 फीसदी लोगों के लिए महंगाई बड़ी चुनौती थी. जो ताजा सर्वे में बढ़कर 14 फीसदी हो गई. किसानों की समस्या को लेकर सर्व में हल्की सुधार देखने को मिली. अगस्त 2019 में 16 फीसदी इसे बड़ा मुद्दा मानते थे. जबकि जनवरी-2022 में हुए 'मूड ऑफ द नेशन' में 15 फीसदी लोग किसानों की समस्या को आज भी सबसे बड़ी चुनौती मानते हैं. (Photo: File)
2. पांच ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी पर सवाल
सर्वे में 5 ट्रिलियन इकोनॉमी को लेकर भी सवाल पूछा गया. लोगों के सामने सवाल था कि क्या 2024 तक भारतीय इकोनॉमी 5 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी? सर्वे में 42 फीसदी लोगों ने कहा कि लक्ष्य हासिल हो सकता है. जबकि 34 फीसदी ने लोगों ने कहा कि 2024 तक संभव नहीं है. जबकि 24 फीसदी लोगों ने या ता इसका जवाब देने से इनकार कर दिया या फिर कहा कि उन्हें इस बारे में कोई पता नहीं है. (Photo: File)
3. महंगाई को लेकर सवाल
सर्वे में एक सवाल था कि क्या आपको लगता है कि खाद्य वस्तुओं और अन्य चीजों की बढ़ती कीमतें भारतीय अर्थव्यवस्था की बुरी हालत के संकेत दे रहे हैं? आजतक के सर्वे में 62 फीसदी लोगों ने कहा हां, जबकि 28 फीसदी लोगों ने इससे इनकार किया है. वहीं 10 फीसदी लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया. (Photo: File)
4. विनिवेश पर सवाल
सर्वे में सरकारी कंपनियों के विनिवेश को लेकर भी एक सवाल था. लोगों से पूछा गया कि आप सरकारी कंपनियां एयर इंडिया, BPCL, SCI को बेचने के फैसले से सहमत हैं? सर्वे में 44 फीसदी लोगों ने माना कि सरकार का यह फैसला अच्छा है. जबकि 39 फीसदी लोग इससे सहमत नहीं दिखे. (Photo: File)
5. निर्मला सीतारमण पर सवाल
गिरती अर्थव्यवस्था के बीच सर्वे में सवाल था कि क्या निर्मला सीतारमण से वित्त मंत्रालय नहीं संभल रहा है? इसके जवाब में 39 फीसदी लोगों ने कहा कि वित्त मंत्री बेहतरीन तरीके से मंत्रालय संभाल रही हैं. 30 फीसदी लोग मानते हैं कि निर्मला सीतारमण के फैसलों की वजहों से अर्थव्यवस्था की ज्यादा बुरी स्थिति है. जबकि 16 फीसदी लोगों ने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए सीतारमण लगातार कोशिश कर रही हैं. 15 फीसदी लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया.
हालांकि 39 फीसदी लोगों ने कहा कि ऐसा नहीं है, छोटे कारोबारियों को भी सरकार की आर्थिक नीतियों की मदद मिल रही है. जबकि 15 फीसदी लोगों ने या तो कोई जवाब नहीं दिया या फिर कहा कि मुझे इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. इस ताजा सर्वे में 49 फीसदी लोगों ने माना कि 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद से 'इज ऑफ डूइंग बिजनेस' में तेजी से सुधार हुआ है. (Photo: File)
7. कैसी है भारतीय अर्थव्यवस्था?
इसके अलावा सर्वे में एक सवाल पूछा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत कैसी है? आजतक के इस सर्वे में 29 फीसदी लोगों ने कहा कि अर्थव्यवस्था सही दिशा में है और चिंता की कोई बात नहीं है. 32 फीसदी लोगों ने कहा कि पहले के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था की गति धीमी पड़ी है. 18 फीसदी लोगों ने कहा कि अर्थव्यवस्था में ग्रोथ नहीं हो रही है. जबकि 10 फीसदी लोगों ने साफ कहा कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भारत बहुत पिछड़ गया है.