साल 2017 में देशभर में एक टैक्स सिस्टम गुड्स एंड सर्विसेज GST लागू हुआ. इसके तहत सभी वस्तुओं और सेवाओं को चार टैक्स स्लैब (5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी) में विभाजित कर दिया गया.
इसके बाद अब मोदी सरकार ''वन नेशन, वन रोड टैक्स'' लागू करने की तैयारी में है. इसके लिए राज्य सरकारों को साथ लाने का प्रयास किया जा रहा है.
लाइव मिंट की खबर के मुताबिक केंद्र सरकार के साथ हुई एक मीटिंग में कुछ राज्यों ने निजी गाड़ियों के लिए इस यूनिफॉर्म रोड टैक्स का प्रस्ताव लागू करने को मंजूरी दे दी है.
हालांकि, कुछ राज्यों ने प्रस्ताव पर विचार करने को कहा है. इन राज्यों का कहना है कि ''वन नेशन, वन रोड टैक्स'' लागू होने से उनके रेवेन्यू कलेक्शन पर प्रभाव पड़ेगा.
दरअसल, रोड टैक्स किसी भी नई गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कराते वक्त देना पड़ता है. GST के साथ लगने वाले इस टैक्स की वजह से गाड़ी की कीमत बढ़ जाती है. ऐसे में ग्राहक उन राज्यों से गाड़ियां खरीदते हैं, जहां सबसे कम रोड टैक्स लगता है. ऐसे में ज्यादा रोड टैक्स लेने वाले राज्यों को रेवेन्यू कलेक्शन का नुकसान होता है.
उदाहरण से समझें तो दिल्ली में 1000 किलोग्राम से कम के चार पहिया वाहन पर 3800 रुपये से अधिक का रोड टैक्स लिया जाता है. वहीं अरुणाचल प्रदेश में वाहन की बिक्री कीमत पर टैक्स लिया जाता है.
मान लीजिए कि किसी चार पहिया वाहन की कीमत 2.5 रुपये है तो उस पर 2.5 फीसदी का रोड टैक्स लगेगा. आम तौर पर कार रजिस्ट्रेशन के वक्त 15 साल के हिसाब से रोड टैक्स चार्ज किया जाता है.