शेयर बाजार से पिछले एक दशक में निजी कंपनियों के प्रमोटर ने जमकर पैसा कमाया है और इस दौरान नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर उनकी हिस्सेदारी का वैल्यूएशन तीन गुना हो गया. लेकिन पिछले एक दशक में एनएसई की कंपनियों में सरकार का हिस्सा घटता गया है और अब उसकी हिस्सेदारी रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई है.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी अब तक के सबसे निचले स्तर 6.36 फीसदी पर पहुंच गई है. करीब एक दशक पहले यह हिस्सेदारी करीब 20 फीसदी के आसपास थी.
क्यों आई गिरावट
एनएसई पर सरकार की हिस्सेदारी घटते जाने की कई वजहें हैं. सरकारी कंपनियों के शेयर मार्केट में खराब प्रदर्शन, नई सरकारी कंपनियों की शेयर बाजार में कम लिस्टिंग और पिछले दशक में सरकार द्वारा सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी कम करते जाना इसकी प्रमुख वजहें हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार जून महीने में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी घटकर 6.36 फीसदी पर आ गई है. यह अब तक का सबसे निचला स्तर है. इसके पहले जून 2010 में एनएसई पर सरकारी कंपनियोंं की हिस्सेदारी 20.58 फीसदी थी.
इसकी वजह से सरकार की हिस्सेदारी का वैल्यूएशन जून 2010 के 12.35 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले जून 2020 में महज 8.63 लाख करोड़ रुपये रह गया है.
निजी कंपनियों के प्रमोटर की हिस्सेदारी बढ़ी
दूसरी तरफ इस दौरान निजी कंपनियों के प्रमोटर्स की एनएसई के शेयरों में हिस्सेदारी 34.26 फीसदी के मुकाबले बढ़कर 44.43 फीसदी हो गई. इस साल के दौरान उनका वैल्यूएशन 20.24 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 60.67 लाख करोड़ रुपये यानी करीब तीन गुना हो गया.
पिछले 10 साल के दौरान सिर्फ 17 सरकारी कंपनियों की शेयर बाजार में लिस्टिंग हुई है और इनके आईपीओ के द्वारा करीब 49,167 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं.
सरकारी कंपनियों का शेयर बाजार में खराब प्रदर्शन
शेयर बाजार में सरकारी कंपनियों का प्रदर्शन भी पिछले एक दशक में काफी खराब रहा है. जनवरी 2010 से अब तक सेंसेक्स 17,464 से बढ़कर करीब 38 हजार के आसपास चल रहा है, लेकिन इस दौरान सरकारी कंपनियों के BSE PSU इंडेक्स 47 फीसदी गिरकर 9,531 से घटकर 5,049 पर पहुंच गया.