Advertisement

बिजनेस

होली के दिन ही SBI ने अपने ग्राहकों को दिया बड़ा झटका

aajtak.in
  • 11 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 4:22 PM IST
  • 1/8

होली के दिन ही देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI ने अपने ग्राहकों को झटका दिया. बैंक ने एक बार फिर फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दर पर कैंची चला दी है. ब्याज दर में जो कटौती की गई है, वह 10 मार्च से ग्राहकों के डिपॉजिट पर लागू हो गया है.

  • 2/8

दरअसल, महीनेभर के भीतर भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर ब्याज दर फिर घटा दी है. बैंक ने 45 दिनों तक की अवधि वाली शॉर्ट टर्म एफडी पर ब्याज में आधी फीसदी यानी 0.50% की कटौती कर दी है.

  • 3/8

10 मार्च से पहले 45 दिनों तक के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट पर 4.5 फीसदी की दर से ब्याज मिलता था, जिसपर अब  4 फीसदी के हिसाब से ब्याज मिलेगा. सीनियर सिटीजन के लिए रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है.

Advertisement
  • 4/8

वहीं डेढ़ महीने से लेकर 1 साल से कम अवधि के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है. यानी पहले की तरह ही 46 से 179 दिनों के लिए डिपॉजिट पर 5 फीसदी और 180 दिन से लेकर एक साल तक की अवधि के लिए सावधि जमा पर 5.5 फीसदी का ब्याज मिलेगा.

  • 5/8

इसके अलावा एक साल से लेकर 10 साल तक के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट पर भी SBI ने ब्याज दर पर कैंची चला दी है. पहले 6 फीसदी सालाना के हिसाब से ब्याज मिलता था, जिसे घटाकर 5.9 फीसदी कर दिया गया है. एक साल और उससे ज्यादा की अवधि वाली एफडी के लिए ब्याज दरों में 0.10 पर्सेंट की कटौती की गई है. 

  • 6/8

वहीं, एक साल और उससे ज्यादा की अवधि वाली एफडी पर सीनियर सिटीजन को 6.4% ब्याज मिलेगा. 10 मार्च से पहले 6.5 फीसदी ब्याज दर का प्रावधान था. इससे पहले बैंक फरवरी में ही एफडी की दरों में 10 से 50 बीपीएस की कटौती की थी.

Advertisement
  • 7/8

इसके अलावा बैंक ने MCLR में भी 15 बीपीएस तक की कटौती की है. चालू वित्त वर्ष में बैंक द्वारा MCLR में यह लगातार 10वीं कटौती है. तीन माह अ‍वधि के लिए एमसीएलआर को 7.65 प्रतिशत से घटाकर 7.50 प्रतिशत कर दिया गया है.  SBI ने जारी किए गए अपने बयान में कहा है कि बैंक ने एक साल के MCLR को 10 बेसिस प्वाइंट घटाकर 7.85 फीसदी से 7.75 फीसदी कर दिया है.

  • 8/8

क्या है MCLR?
बैंकों द्वारा MCLR बढ़ाए या घटाए जाने का असर नए लोन लेने वालों के अलावा उन ग्राहकों पर पड़ता है, जिन्होंने अप्रैल 2016 के बाद लोन लिया हो. क्योंकि अप्रैल 2016 से पहले रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा लोन देने के लिए तय मिनिमम रेट बेस रेट कहलाती थी, यानी बैंक इससे कम रेट पर कस्टमर्स को लोन नहीं दे सकते थे.

Advertisement

लेटेस्ट फोटो

Advertisement