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बिजनेस

आम लोगों के लिए रतन टाटा का वो सपना, जो अधूरा रह गया

दीपक कुमार
  • 28 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 12:39 PM IST
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आपके घर में टाटा का कोई प्रोडक्‍ट न हो, ये नामुमकिन सा है. नमक से लेकर ट्रक बनाने तक के बिजनेस से जुड़े टाटा ग्रुप का इतिहास करीब 150 साल पुराना है. साल 1868 में जमशेदजी टाटा ने टाटा ग्रुप की शुरुआत मुंबई के एक ट्रेडिंग फर्म से की थी जो आज दुनिया भर में अपना विस्‍तार कर चुकी है.

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 इस विस्‍तार में टाटा ग्रुप की तीसरी पीढ़ी के रतन टाटा का सबसे अहम रोल है. 82 साल के रतन टाटा ने कई ऐसे काम किए जिसने दुनियाभर में भारत को गौरवान्‍वित किया. हालांकि कुछ ऐसे भी मोर्चे थे, जहां उनका सपना अधूरा रह गया. आज हम रतन टाटा के जन्‍मदिन के मौके पर उसी अधूरे सपने के बारे में बताएंगे..

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रतन टाटा का अधूरा सपना

साल 2008 की बात है, चेयरमैन रतन टाटा ने जब टाटा मोटर्स  के ''नैनो'' कार को लॉन्‍च किया तो उनका मकसद आम लोगों के सपने को पूरा करना था. इस कार की शुरुआती कीमत 1 लाख रुपये थी. कार को जोर-शोर से बाजार में उतार गया. लेकिन उम्‍मीद के मुताबिक कार की बिक्री नहीं हुई.

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आज के वक्‍त में हालत ये हो गई है कि ''नैनो'' का कोई खरीदार नहीं मिल रहा है. इस वजह से कार का प्रोडक्‍शन तक ठप हो गया है. साल 2019 के पहले 9 महीने यानी सितंबर तक नैनो कार का कोई प्रोडक्‍शन नहीं किया गया है. वहीं साल 2019 में अब तक सिर्फ 1 कार की बिक्री हुई है. यह कार फरवरी में बिकी थी.

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अब कयास ये लगाए जा रहे हैं कि टाटा मोटर्स कभी भी नैनो कार के मॉडल को बंद करने का ऐलान कर सकती है. हालांकि आधिकारिक रूप से इस मॉडल को बंद करने के बारे में कोई घोषणा नहीं की गई है. ऐसे में कहा जा सकता है कि रतन टाटा ने जिस सोच के साथ नैनो की शुरुआत की थी वो सही साबित नहीं हुई.

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1991 में टाटा ग्रुप की कमान

1962 से टाटा ग्रुप में काम शुरू करने के बाद रतन टाटा ने 1991 में टाटा ग्रुप की कमान संभाली. उनकी अगुवाई में टाटा ग्रुप ने भारत समेत दुनियाभर में विस्‍तार किया. बता दें कि टाटा संस ग्रुप की अगुवा कंपनी है. टाटा संस की इक्विटी शेयर पूंजी का 66 फीसदी हिस्सा परोपकारी ट्रस्टों के पास है. ये ट्रस्‍ट शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका उत्पादन और कला-संस्कृति के लिए काम करते हैं. टाटा ग्रुप के अधीन आने वाली हर कंपनियों का मैनेजमेंट और अन्‍य गतिविधियां स्‍वतंत्र हैं.

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टाटा ग्रुप का कारोबारी साम्राज्‍य

ग्रुप की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक टाटा अलग-अलग कंपनियों के जरिए 100 से अधिक देशों में कारोबार कर रही है. इस ग्रुप का टीसीएस के जरिए आईटी सेक्‍टर में दबदबा है तो वहीं टाटा स्‍टील ने भारत समेत दुनिया भर की स्‍टील इंडस्‍ट्री में अपनी एक खास पहचान बनाई है. इसी तरह ऑटो इंडस्‍ट्री में टाटा मोटर्स समेत अन्‍य व्‍हीकल्‍स ने नाम कमाया है. इसके अलावा कंज्‍यूमर और रिटेल इंडस्‍ट्रीज, इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर इंडस्‍ट्रीज, फाइनेंशियल सर्विसेज, एयरोस्‍पेस और डिफेंस में भी टाटा ग्रुप ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है.

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वहीं टूरिज्‍म और ट्रेवल, टेलीकॉम और मीडिया, ट्रेडिंग और इन्‍वेस्‍टमेंट सेक्‍टर में भी टाटा ग्रुप अपना लोहा मनवा रही है. बता दें कि टाटा ग्रुप शिक्षा, सशक्तिकरण, पर्यावरण और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी सक्रिय है. यही नहीं, टाटा ने अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर मैराथन, चेस और टेनिस टूर्नामेंट के अलावा कई तरह के क्‍विज को स्पॉन्सर किया है. इसके अलावा भारत समेत दुनिया के अलग- अलग हिस्‍सों में टाटा ग्रुप का इनोवेशन सेंटर भी है.

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क्‍या है टाटा ग्रुप की वर्तमान स्थिति

FY18 में टाटा ग्रुप के रेवेन्‍यू की बात करें तो 7.13 लाख करोड़ रही. वहीं एक साल पहले FY17 में ग्रुप का रेवेन्‍यू 6.53 लाख करोड़ था.

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मार्च 2019 तक के आंकड़े बताते हैं कि टाटा ग्रुप के कर्मचारियों की संख्‍या 7 लाख से अधिक थी. वहीं 31 मार्च 2019 तक टाटा ग्रुप का मार्केट 1,111,414 करोड़ रुपये था. एक साल पहले मार्च 2018 में ग्रुप का मार्केट कैप 945,117  करोड़ रुपये था.

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