बीते कुछ दिन से डीजल और पेट्रोल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है. देश की राजधानी दिल्ली में तो पेट्रोल से ज्यादा महंगा डीजल बिक रहा है.
ये हालात ऐसे समय के हैं जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव दायरे में हैं. लेकिन आमतौर पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव में उतार चढ़ाव का सीधा असर भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पड़ता है.
किसी भी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव बढ़ते हैं तो भारत में भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में उछाल की आशंका बनी रहती है. इस हालात से निपटने के लिए सरकार ने एक नया प्लान बनाया है.
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक भारत किसी प्रकार की आपूर्ति बाधा या कीमत वृद्धि की स्थिति से निपटने के लिये अपना कच्चा तेल अमेरिका के रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारों में रखने की तैयारी में है.
भारत और अमेरिका के बीच इस मुद्दे पर बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है. धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि दोनों देशों ने रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारण पर सहयोग को लेकर सहमति पत्र पर दस्तखत किये हैं.
आपको यहां बता दें कि अमेरिका के पास रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार में 71.4 करोड़ बैरल तेल भंडारण क्षमता है. यह संकट के समय कच्चे तेल के लिए दुनिया की सबसे बड़ी आपूर्ति व्यवस्था है.
इसकी तुलना में भारत में तीन जगहों पर भूमिगत भंडारण क्षमता 53.3 लाख टन (करीब 3.8 करोड़ बैरल) है. पूर्वी और पश्चिमी तट पर स्थित इन भंडार केंद्रों से केवल 9.5 दिनों की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है.
भारत के अमेरिका में भंडारण का फायदा ये है कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव या आपूर्ति बाधित होगी तो, इसका उपयोग किया जा सकेगा. भारत के लिये अमेरिका छठा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है. भारत को अमेरिका की तेल आपूर्ति 2017 से 2019 के बीच 10 गुना बढ़कर 2,50,000 बैरल प्रति दिन हो गई है.