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अपने देश के हर नागर‍िक को 7.5 लाख देगा ये शख्स, जानिए वजह

विकास जोशी
  • 23 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 12:03 PM IST
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भारत में भले ही यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई) को लेकर अभी बहस ही चल रही हो, लेक‍िन अमेर‍िका में एक शख्स ने इसके फायदे गिनाने शुरू कर दिए हैं. इनका वादा है कि अमेरिकी नागर‍िक की चाहे जो सैलरी या कमाई हो, वह हर नागरिक को हर महीने 1000 डॉलर देंगे. हर साल करीब 7.5 लाख रुपये.

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अमेरिका में 2020 में राष्ट्रपति पद के चुनाव होने हैं. कारोबारी एंड्र्यू यैंग ने इस चुनाव में डेमोक्रैट‍िक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए प्रेसिडेंश‍ियल कैंपेंन भी शुरू कर दिया है.

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एंड्र्यू यैंग ने अपनी प्रेसिडेंश‍ियल कैंपेंन की आध‍िकारिक वेबसाइट पर यूनिवर्सल बेस‍िक इनकम के फायदे गिनाए हैं. यही नहीं, यूबीआई मिलने से एक शख्स की जिंदगी कितनी बदल सकती है, यह साबित करने के लिए वह देश के एक शख्स को एक साल तक हर महीने एक हजार डॉलर देंगे.

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पिछले हफ्ते यैंग ने घोषणा की कि वह न्यू हैंपशर शहर के एक शख्स को हर महीने एक हजार डॉलर (करीब 64 हजार रुपये) देंगे. यह रकम 2019 में 12 महीनों तक दी जाएगी. यैंग का कहना है कि इसके जरिये वह यूबीआई लागू करने के फायदे गिनाना चाहते हैं.

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सीएनबीसी के मुताबिक यैंग यह खर्च अपनी जेब से कर रहे हैं. यैंग का वादा है कि अगर वह अमेरिका के राष्ट्रपति चुने जाते हैं, तो वह 18 से 64 साल के हर शख्स को एक हजार डॉलर प्रति महीने देंगे.

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ऐसे चुना जाएगा एक शख्स:
2019 में जिस शख्स को यैंग 12 हजार डॉलर देंगे. उसका चुनाव न्यू हैंपशर के वोटर करेंगे. यहां के लोग जिसको चाहें, उसे इसके लिए नॉमिनेट कर सकते हैं.  नॉमिनेशन 1 सितंबर तक होंगे. 1 अक्टूबर को फाइनलिस्ट चुने जाएंगे और दिसंबर में विजेता के नाम की घोषणा होगी..

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यैंग ने कहा कि भले ही एक शख्स को 1 हजार डॉलर भेजने से लाखों लोगों को होने वाले फायदे का पता नहीं चलेगा, लेक‍िन इससे कुछ आइडिया तो जरूर मिलेगा. उन्होंने कहा कि काश मेरे पास ज्यादा पैसे होते, तो मैं और लोगों को भी हर महीने 1-1 हजार डॉलर देता.

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डेमाक्रेट‍िक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के लिए अपनी दावेदारी करने से पहले यैंग एजुकेशन कंपनी मैनहटन जीमैट के सीईओ थे. अब यह कंपनी बिक चुकी है. इसके बाद उन्होंने 2011 में वेंचर फॉर अमेरिका कंपनी की शुरुआत की.

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यूनिवर्सल बेसिक इनकम को लेकर अमेरिका में ही नहीं, बल्क‍ि भारत में भी लागू करने को लेकर चर्चा चल रही है. हालां‍क‍ि भारत में इसको लागू करने को लेकर कोई पुख्ता कदम अभी नहीं उठाया गया है. (सभी फोटो प्रतीकात्मक)

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