Advertisement

मनोरंजन

कभी बेचा साबुन तो कभी बने चपरासी, संघर्षों में बीता रामानंद सागर का बचपन

aajtak.in
  • 18 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 11:56 AM IST
  • 1/8

दूरदर्शन पर दोबारा से प्रसारित हो रहे सीरियल 'रामायण' इतिहास रच देगा, इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. इससे भी ज्यादा अचंभे की बात तो यह है कि रामायण जैसे ऐतिहासिक शो को बनाने वाले हमारे जैसा ही आम आदमी रामानंद सागर थे. धनी परिवार में जन्म लेकर भी रामानंद का बचपन कठ‍िनाई में गुजरा है. आइए 'रामायण' के रचय‍िता रामानंद सागर के कुछ अनछुए पहलुओं को जानें. 

  • 2/8

रामानंद सागर का जन्म 29 दिसंबर 1917 को लाहौर में हुआ था. जन्म के वक्त उनका नाम चंद्रमौली था. उनके दादा पेशावर से आकर परिवार समेत कश्मीर में बस गए. धीरे-धीरे वे शहर के नगर सेठ बन गए. जब रामानंद 5 वर्ष के थे तो उनकी माता का निधन हो गया था.

  • 3/8

बहुत छोटी उम्र में ही रामानंद सागर को उनके निसंतान मामा ने गोद ले लिया. यहां उनका नाम चंद्रमौली से बदलकर रामानंद सागर रखा गया. मामा के घर में होने के बावजूद उनका बचपन दर्द में गुजरा. हालांकि पूरी बातों का आजतक किसी को पता नहीं चला है.

Advertisement
  • 4/8

रामानंद सागर को पढ़ने लिखने का बहुत शौक था. वे दिन-रात पढ़ने में लगे रहते थे. 16 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली किताब - प्रीतम प्रतीक्षा लिखी. ये वो दौर था जब वे अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए काम भी किया करते थे.

  • 5/8

उन्होंने पिऊन से लेकर साबून बेचने तक का काम किया है. यहां तक कि सुनार की दुकान में हेल्पर और ट्रक क्लीनर का भी काम कर चुके हैं. इस तरह जितने पैसे आते थे, वे अपनी पढ़ाई में लगाते थे. ऐसा करते हुए उन्होंने काम के साथ अपनी डिग्री भी हासिल कर ली.

  • 6/8

रामानंद सागर लेखन में माहिर थे. चूंकि उनका बचपन दर्द से गुजरा था, इसी की झलक आगे चलकर उनकी कहानियों और किस्सों में नजर आती है. उन्होंने 32 लघुकथाएं, 4 कहानियां, 1 उपन्यास, 2 नाटक लिखे हैं. वे पंजाब के जाने-माने अखबार डेली मिलाप के संपादक रह चुके हैं.

Advertisement
  • 7/8

फिल्मों में उनकी शुरुआत क्लैपर बॉय के रूप में हुई थी. फिर उन्होंने पृथ्वी थ‍िएटर्स में बतौर अस‍िस्टेंट स्टेज मैनेजर काम किया. राज कपूर की फिल्म बरसात की कहानी और स्क्रीनप्ले रामानंद सागर ने ही लिखी थी. उन्हें 1968 में आई फिल्म आंखें (धर्मेंद्र और माला सिन्हा) के लिए बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड मिला था.

  • 8/8

1987 में फिल्मों से अलग रामानंद ने रामायण का निर्माण किया और फिर देखते ही देखते यह विश्व के हर कोने में पहुंच गई. भारत ही नहीं बल्क‍ि अन्य देशों में भी रामानंद सागर के रामायण की चर्चा होने लगी थी.



Photos: Sagar World Instagram

Advertisement

लेटेस्ट फोटो

Advertisement