बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने करीब 6 लाख करोड़ के राहत पैकेज का ऐलान किया. ये कुल 20 लाख करोड़ के पैकेज का हिस्सा है, जिसकी घोषणा खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने की थी. लेकिन सवाल है कि इस पैकेज में देश के मिडिल क्लास के लिए क्या था. आइए विस्तार से जानते हैं..
- मिडिल क्लास को सरकार ने सबसे बड़ी राहत टैक्स के मोर्चे पर दी है. दरअसल, सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए सभी आयकर रिटर्न भरने की समयसीमा 31 जुलाई 2020 और 31 अक्टूबर 2020 से बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दी है.
- इसके अलावा टैक्स से जुड़े विवादों के निपटारे के लिए लाई गई 'विवाद से विश्वास योजना' की डेडलाइन 31 दिसंबर 2020 तक के लिए बढ़ गई है.
मतलब ये कि अगर आपका डायरेक्ट टैक्स (इनकम टैक्स) से जुड़ा कोई विवाद है तो बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के 31 दिसंबर 2020 तक निपटारा कर सकते हैं. इन फैसलों का देश के करोड़ों टैक्सपेयर्स को फायदा मिलने वाला है.
- सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के तहत आने वाले सभी नियोक्ताओं और कर्मचारियों के पीएफ कंट्रीब्यूशन को क्रमश: 2-2 फीसदी कम कर दिया गया है. अब अगले तीन माह तक कर्मचारी अपने मूल वेतन का 12 फीसदी की बजाए सिर्फ 10 फीसदी कंट्रीब्यूशन देंगे.
- टीडीएस की दर में भी 25 फीसदी की कटौती कर दी गई है. उदाहरण के तौर पर अगर किसी का 100 रुपये का टीडीएस बनता है तो उसे 75 रुपये ही देने होंगे. यानी अब टैक्सपेयर्स की जेब में कुछ अतिरिक्त पैसे पहुंचेंगे. इसका फायदा हर तरह के ट्रांजैक्शन पर उठाया जा सकता है.
- वित्त मंत्री ने एक अन्य घोषणा में कहा कि सरकार जल्द से जल्द पेंडिंग टैक्स रिफंड लौटा देगी. इससे पहले सरकार 5 लाख रुपये तक के 18,000 करोड़ रुपये तक रिफंड टैक्सपेयर्स को लौटा चुकी है.